विश्व हिंदी सम्मेलन : आईटी में हिंदी की पैठ दिखेगी
भोपाल (एजेंसी)। हिंदी भाषी कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने से हिचकते हैं, क्योंकि कम्प्यूटर की भाषा अंग्रेजी है, लेकिन वक्त के साथ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में भी धीरे-धीरे हिंदी की पैठ होने लगी है। मध्य प्रदेश की राजधानी में होने जा रहा विश्व हिंदी सम्मेलन यह बताने की पाठशाला बनेगा कि आईटी के क्षेत्र में हिंदी कितनी बढ़ी है और आने वाले दिनों में हिंदी भाषियों के लिए इस क्षेत्र में कैसी संभावनाएं हैं।
भोपाल में 1० से 12 सितंबर तक तीन दिवसीय विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन में हिंदी को सशक्त करने पर विचार मंथन होगा। वहीं हिंदी को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा होगी और आगामी कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जाने वाले इस सम्मेलन के आयोजन स्थल पर महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित प्रदर्शनी लगेगी, जिसमें से एक होगी-सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी का इस्तेमाल। आशय साफ है इस प्रदर्शनी के जरिए बताया जाएगा कि हिंदी जानने वाले अपनी भाषा में सूचना प्रौद्योगिकी का कैसे उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि उनके लिए भाषा बाधक नहीं है।
आयोजन में समन्वय की भूमिका निभा रहे माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलसचिव लाजपत आहूजा ने बताया है कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिंदी भाषा के बढ़ते प्रभाव के प्रदर्शन के लिए एक प्रदर्शनी लगेगी, इस प्रदर्शनी में गूगल, सीडेक, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल जैसी कंपनियां हिस्सा ले रही हैं, ये कंपनियां बताएंगी कि हिंदी किस तरह कम्प्यूटर की भाषा हो रही है।
आहूजा ने आगे बताया कि ये कंपनियां हिंदीभाषी की तमाम जिज्ञासाओं का शमन कर ये बताएंगी कि वे अपनी भाषा (हिंदी) में कम्प्यूटर को किस तरह चला सकते हैं। इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, हिंदी सॉफ्टवेयर के विशेषज्ञ यहां मौजूद रहेंगे, यहां आने वालों को पेनड्राइव आदि में सॉफ्टवेयर नि:शुल्क सुलभ हो यह प्रयास भी किए जाएंगे।
आयोजन समिति के उपाध्यक्ष और सांसद अनिल माधव दवे ने कहा कि इस आयोजन के दौरान लगने वाली प्रदर्शनी में सूचना प्रौद्योगिकी सहित अन्य क्षेत्रों में हिंदी के बढ़ते प्रभाव को प्रदर्शित किया जाएगा। यह आयोजन हिंदी को सशक्त बनाने के लिए है, लिहाजा हिंदी को सशक्त बनाने के प्रयासों को प्रदर्शित किया जाएगा। भोपाल के लाल परेड मैदान को विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए माखनलाल चतुर्वेदी नगर नाम दिया गया है। इतना ही नहीं, आयोजन स्थल पर विविध आयोजनों के लिए पंडाल बनाए गए हैं, इन पंडालों को हिंदी विद्वानों का नाम दिया गया है।