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भारत में खूंखार आतंकियों की घुसपैठ का जरिया है यह दरिया

india-pak-border-1_144169चंडीगढ़. सरहद पार घुसपैठ की फिराक में बैठे आतंकियों के लिए पंजाब में सतलुज दरिया एक आसान रास्ते की तरह है। सतलुज दरिया दोनों मुल्कों के बीच एक ऐसी जगह है, जहां सरहद की निशानदेही स्पष्ट नहीं है। चूंकि दरिया पर फेंसिंग (कंटीले तार) नहीं हो सकती लिहाजा इस मौसम में घुसपैठ के लिए इससे बेहतर जगह नहीं हो सकती। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा दरिया के साथ 10-12 मीटर के ऐसे तमाम हिस्से हैं, जहां फेंसिंग नहीं हो सकती। सीमा पर दिन रात पैट्रोलिंग करने वाली बीएसएफ के पास नाइट विजन डिवाइस है, लेकिन बरसात और घने कोहरे के मौसम में यह कारगर नहीं है और आतंकी मौका देख सीधे भारत के सरहदी शहर में दाखिल हो जाते हैं। इसी साल एक व्यक्ति फिरोजपुर रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया था। उसका नाम और पता म्यांमार का था, जबकि वह खुद को पाकिस्तानी बता रहा था। उस समय पांच लोगों के सरहद पार करके फिरोजपुर कैंट स्टेशन पहुंचने की खबरें आई थीं। हालांकि, बीएसएफ और बाकी एजेंसियां ये स्पष्ट नहीं कर पाई कि ये आदमी कौन था। भारत-पाक की अंतरराष्ट्रीय सीमा से दैनिक भास्कर की ननु जोगिंदर सिंह की खास रिपोर्ट…दरअसल, सतलुज दरिया पर ऐसी कई जगह है, जहां पर फेंसिंग नहीं हो सकती। करीब 10-12 मीटर के इन एरियाज के जरिए जुनूनी आतंकी आसानी से बॉर्डर पार कर सकते हैं। इन इलाकों में निगरानी के लिए जवानों की चौकियां और नाइट विजन आदि हैं, लेकिन खराब मौसम के दिनों में बीएसएफ के पास कोई इंतजाम नहीं है। उस समय तक महंगे उपकरणों को बचाना भी इनकी ड्यूटी हो जाती है। इसी सप्ताह जब हुसैनीवाला बॉर्डर से दैनिक भास्कर का सफर शुरू हुआ तो पाकिस्तान की ओर से फेंसिंग में करंट के लिए अब भी पुराने स्टाइल के सॉकेट लगे हैं। ज्यादा बारिश होने की सूरत में ये तार जल जाती है और बाड़ में करंट आना बंद हो जाता है।बाड़ के दूसरी ओर जहां तक खेती है, वहां पर तो रास्ता साफ है, लेकिन जहां फेंसिंग दो-ढाई मीटर की दूरी पर है, वहां पाकिस्तान की ओर के सरकंडे निगरानी में बाधा बनते हैं। ऐसे में नाइट विजन ही एक तरीका हैं, लेकिन खराब मौसम में ये भी फेल हो जाते हैं। राजो के गट्टी, सतपाल चौकी होते हुए सम्मे के पहुंचे, जहां पर सतलुज दरिया भारत में प्रवेश करता है। यहां कसूर नाला है जिसके आसपास करीब 7 से 10 मीटर जगह होगी जहां फेंसिंग नहीं है। पानी में बड़ी-बड़ी झाडिय़ां हैं और बीएसएफ ने किनारों पर कंटीली तारें छोड़ी हुई हैं। जिले के आदमी को उसके एरिया में अप्वाइंट नहीं किया जाता। ड्यूटी आवर के लिए सभी कमांडर ध्यान रखते हैं। जवानों का पारिश्रमिक बढ़ाने की प्रक्रिया भी निरंतर चलती रहती है।

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