देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक स्थिरता का सबसे अच्छा समय देखा है। तभी तो वर्ष 2013-14 में जो भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी, वह अब दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था हो गई है। इसी वक्त में देश में वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली लागू की गई जो अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार है। इससे न सिर्फ पूरा देश एक बाजार बन गया बल्कि कर की दरें घटाने के बावजूद भी कर संग्रह बढ़ गया।
शुक्रवार को संसद में वर्ष 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस समय औसत जीडीपी विकास दर 7.3 फीसदी वार्षिक है। 1991 में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों के बाद किसी भी सरकार की यह सबसे उच्च विकास दर है।
राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति में कमी
अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में गोयल ने कहा कि राजकोषीय घाटे को वर्ष 2011-12 के 5.8 फीसदी तथा 2012-13 के 4.9 फीसदी की उच्च दर की तुलना में राजकोषीय घाटे को 2018-19 के संशोधित अनुमानों के अनुसार 3.4 फीसदी पर लाया गया है। वर्ष 2000 -2014 में मुद्रास्फीति की औसत दर 10.1 फीसदी थी जो अब कम होकर 4.6 फीसदी रह गई है।
दिसंबर 2018 में मुद्रास्फीति की दर केवल 2.19 फीसदी थी।वित्त मंत्री ने कहा कि इस वर्ष चालू खाता घाटा (सीएडी) जीडीपी के केवल 2.5 फीसदी रहने की संभावना है। छह वर्ष पहले यह 5.6 फीसदी था। गोयल ने कहा कि मजबूत मूलभूत घटकों तथा स्थिर नियामक व्यवस्था के कारण देश में पिछले 5 वर्षों के दौरान 239 अरब डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हुआ है। उन्होंने कहा कि संरचनात्मक कर सुधार के मामले में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) एक मील का पत्थर है।
बैंक ऋणों की वसूली
बैंकिंग सुधारों को रेखांकित करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि शोधन अक्षमता एवं दिवालियापन संहिता ने समाधान-अनुकूल व्यवस्था तैयार की है और इस कारण बैंकों ने तीन लाख करोड़ रुपये का ऋण वसूल किया है। उन्होंने कहा कि 2014 में 5.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के फंसे हुए कर्ज -एनपीए- थे। 2015 के पश्चात इस समस्या के समाधान के लिए कई समीक्षाएं की गईं और अंत में 4आर -पहचान, समाधान, पुन: पूंजी देना और सुधार- का दृष्टिकोण अपनाया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय हालत को मजबूत करने के लिए सरकार ने 2.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध कदम
रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता के नए युग का सूत्रपात करते हुए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री ने रियल एस्टेट -नियमन और विकास-अधिनियम, 2016 -रेरा- तथा बेनामी लेन देन -निषेध- अधिनियम का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 ने उन आर्थिक अपराधियों की परिसंपत्तियों को जब्त करने और उनका निपटारा करने में सहायता प्रदान की है जो देश के न्यायाधिकार से बच निकलते हैं। उन्होंने कहा कि कोयला जैसे प्राकृतिक संसाधनों तथा स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है।
80, 000 करोड़ की राहत
जीएसटी से जुड़े सुधार पिछली सरकार के कार्यकाल में करीब एक दशक तक अटका रहा। उनकी सरकार ने जीएसटी को लागू किया जो कि अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार है। इसमें केंद्र और राज्य के 17 विभिन्न करों को मिलाया गया। जीएसटी दरों में कमी की वजह से ग्राहकों को हर वर्ष करीब 80 हजार करोड़ रुपये की राहत मिली है।
97100 करोड़ रुपये कर संग्रह
जीएसटी दरों में व्यापक कटौती के बावजूद राजस्व संग्रह का रुख अत्यंत उत्साहवर्द्घक है। चालू वर्ष के दौरान औसत मासिक कर संग्रह 97100 करोड़ रुपये है जबकि पहले साल में यह आंकडा 89700 करोड़ रुपये था।
2022 तक न्यू इंडिया
न्यू इंडिया 2022 में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर उत्सव मनाएगा, जब प्रत्येक परिवार के पास अपना एक घर होगा और शौचालय के साथ विद्युत व जल आपूर्ति की सुविधा होगी, किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और देश आतंकवाद, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से मुक्त होगा।