रायपुर. नए सत्र के चार महीने बीतने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने अचानक स्कूलों का टाइम बदला और प्राइमरी के बच्चों का स्कूल दोपहर में लगा दिया। नए टाइमिंग ने छोटे बच्चों को हलाकान कर दिया है। भास्कर टीम गुरुवार को दोपहर स्कूलों में पहुंची तो ज्यादातर छोटे बच्चों के चेहरे मुरझाए नजर आए। कुछ को नींद के झोंके आ रहे थे, कुछ नींद की आगोश में थे।
शिक्षकों ने भी माना कि जब से बच्चों का टाइम बदला है, हालात यही हैं। मध्यान्ह भोजन दोपहर ढाई-तीन बजे ही मिल पाता है। तब तक ज्यादातर बच्चे बुरी तरह भूखे हो चुके होते हैं। कुछ बच्चे भोजन से पहले ही सो जाते हैं, कुछ भोजन के तुरंत बाद। प्रदेश में ऐसे स्कूलों की टाइमिंग बदली है, जहां एक कैंपस में प्राइमरी-मिडिल एवं हाई-हायर सेकेंडरी स्कूल लगते हैं। अभी हाई-हायर सेकेंडरी यानी बड़े बच्चों के स्कूल सुबह की पाली यानी 7 बजे से 12.15 बजे तक लगाए जा रहे हैं। पहली से आठवीं तक यानी प्राइमरी-मिडिल के बच्चों को दोपहर की पाली में 12.15 से शाम 5.15 बजे तक बुलाया जा रहा है। नए टाइमिंग से बड़ी कक्षा के बच्चों को समस्या नहीं है, लेकिन प्राइमरी के बच्चों पर इसका असर नजर आने लगा है।
सुबह से नहीं खाया
टाइमिंग बदलने का असर सबसे ज्यादा उन बच्चों पर है, जो एक वक्त का भोजन स्कूल में ही करते हैं। इस वर्ग के बच्चों को मध्यान्ह भोजन से काफी राहत मिलती है। सुबह की पाली में उन्हें भोजन सुबह 9-10 बजे तक मिल जाता था। गुरुवार को दोपहर ज्यादातर स्कूलों में भोजन दोपहर ढाई बजे के बाद मिला। भास्कर ने दूसरी कक्षा के कुछ बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि सुबह से भोजन ही नहीं किया है।
केस-1
दोपहर ढाई बजे डूमरतराई प्राइमरी स्कूल के बच्चों को दोपहर 3 बजे मध्यान्ह भोजन परोसा गया। सारे बच्चे भूख से व्याकुल थे। सुबह 11 बजे से स्कूल के लिए निकले छोटे बच्चों के चेहरे भूख से उतरे हुए थे।
केस-2
मंडीगेट प्राइमरी स्कूल में दोपहर बाद भास्कर टीम पहुंची तो पहली-दूसरी के बच्चे क्लास ऊंघते मिले। कुछ तो दीवार में टिककर सो गए। दोपहर की गर्मी और भूख से ज्यादातर के चेहरे में थकान नजर आई।
केस-3
प्राथमिक शाला सड्डू में प्राइमरी के 596 बच्चे हैं। ज्यादातर आसपास से आते हैं। यहां भी भोजन के बाद कक्षाओं में छोटे बच्चे ऊंघते मिले। शिक्षकों ने माना कि शायद देर से भोजन मिलने का असर है।