नारायणसामी ने किरण बेदी को कहा- ‘विवेकहीन महिला’
पुडुचेरी में मुख्यमंत्री वी नारायणसामी और उपराज्यपाल के बीच जारी जुबानी जंग लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को नाराणयसामी ने कहा कि किरण बेदी विवेकहीन महिला हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वह निर्वाचित सरकार के खिलाफ प्रतिशोधात्मक तरीके से काम कर रही हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सरकार के कामों की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने बताया कि सरकार के कामों के चलते केंद्र सरकार की सुशासन रिपोर्ट में पुडुचेरी शीर्ष पर है। उन्होंने दावा किया कि यह सम्मान उनकी सरकार, मंत्रियों और अधिकारियों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
केंद्र सरकार ने उनकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन नहीं मुहैया कराया। इसके अलावा रोजाना के प्रशासनिक कार्यों में उपराज्यपाल निरंतर हस्तक्षेप करती रहती हैं। वह अधिकारियों को अपने दफ्तर में बुलाकर बैठक भी लेती हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि वह कथित रूप से उन्हें ताने मारने के साथ ही डराती भी हैं। राज्य में कैसिनो खोले जाने पर उपराज्यपाल की आपत्ति के सवाल का जवाब देते हुए सीएम ने कहा कि उन्हें पहले गोवा सरकार से इन पर सवाल पूछकर आपत्ति जतानी चाहिए।
राष्ट्रपति से कर चुके हैं बेदी को वापस बुलाने की मांग
उपराज्यपाल किरण बेदी से चल रही तकरार के बीच पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से बेदी को वापस बुलाने की अपील भी कर चुके हैं। नारायणस्वामी ने कहा था, 23 दिसंबर को पुडुचेरी आए राष्ट्रपति को उन्होंने इस बारे में ज्ञापन सौंपा था।
मुख्यमंत्री ने इसमें बताया है कि उपराज्यपाल निरंकुशता से काम कर रही हैं। वह पद का दुरुपयोग करके संविधान के प्रावधानों को पलट रही हैं। वह अपने अधिकारों से इतर सरकार के दैनिक कार्यों में हस्तक्षेप कर रही हैं। वह समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रही हैं, जो कि संविधान के खिलाफ है।
किरण बेदी और नारायणसामी के बीच तनातनी
इस साल दिसंबर की शुरुआत में भी नारायणसामी ने कहा था कि वह निर्वाचित सरकार के फैसलों को लागू करने में लगातार कथित तौर पर बाधा डालने के लिए केंद्र शासित प्रदेश की उपराज्यपाल किरण बेदी के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका दायर करेंगे।
उन्होंने आरोप लगाया था कि बेदी इस साल 30 अप्रैल को मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कई कल्याणकारी योजनाओं को रोक रही हैं। उच्च न्यायालय ने कहा था कि बेदी को सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अदालत ने मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव द्वारा दायर याचिका में यह आदेश दिया था। याचिका में बेदी को हस्तक्षेप करने से रोकने का अनुरोध किया गया था।
नारायणसामी ने कहा था कि उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के लिए निर्वाचन आयुक्त के तौर पर एक अधिकारी को नियुक्त करने का फैसला किया था लेकिन बेदी ने इस फैसले पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा था, वह प्रशासकीय प्रक्रियाओं के बारे में भी नहीं जानती है और प्रदेश के मंत्रिमंडल के हर फैसले को नकारती रही हैं।