अन्तर्राष्ट्रीय

लंदन: सेना ने मात्र 10 दिन में बना दिया 4000 बेड का ‘नाइटेंगल’ अस्पताल

लंदन: दुनियाभर के लोग इन दिनों कोरोना वायरस के खौफ से परेशान है। मौतों का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। जिन देशों ने कोरोना वायरस को हल्के में लिया, इन दिनों उनके यहां मौतों का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है।

चीन में जब कोरोना वायरस की पहचान हुई उसके बाद उन्होंने इससे निपटने के लिए 10 दिनों में एक हजार बेड का अस्थायी अस्पताल तक बना दिया था, अब ब्रिटेन ने चीन के इस रिकार्ड को तोड़ते हुए मात्र 10 दिनों के रिकार्ड समय में 4000 बेड का इमरजेंसी अस्पताल तैयार कर दिया है। इस नए अस्पताल को नाइटेंगल नाम दिया गया है। 4000 बेड के इस अस्थायी अस्पताल में बुधवार से मरीजों का इलाज भी शुरू कर दिया गया है। ब्रिटेन में तो हालात यहां तक खराब हो गए थे कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी इसकी चपेट में आ गए थे, उसके बाद उन्होंने अपने को क्वारंटाइन कर लिया था।

चीन से निकला आगे

दुनिया के 195 से अधिक देशों में इन दिनों 9 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं तो 40 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी। वहीं, ब्रिटेन में भी कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है। कोरोना वायरस मरीजों के इलाज के लिए सेना बुलाकर ब्रिटेन ने 10 दिनों में 4000 बेड का इमरजेंसी हॉस्पिटल तैयार कर लिया है। चीन में जब इस वायरस का प्रकोप फैलना शुरू हुआ था उसके बाद से वहां सड़क किनारे ही अस्थायी अस्पताल बना दिए गए थे। बीमारी का प्रकोप बढ़ते हुए देखकर सरकार ने सेना की मदद से यहां खाली पड़े बड़े भूभाग पर 1000 बेड का एक अस्थायी अस्पताल बना दिया था।

कन्वेंशन सेंटर को बना दिया कोरोना अस्पताल

पूर्वी लंदन के डॉकलैंड जिले में एक्सेल कन्वेंशन सेंटर था। कन्वेंशन सेंटर को ही बदलकर हॉस्पिटल बनाया गया है। हॉस्पिटल में दो-दो हजार बेड वाले दो वार्ड बनाए गए हैं। चूंकि ब्रिटेन में मरीजों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है, उस लिहाज से अस्पताल में बेड़ों की संख्या कम पड़ रही है, इसी को ध्यान में रखते हुए यहां इस अस्पताल का निर्माण किया गया है। एनएचएस नाइटिंगेल अस्पताल शुरू में 500 बेड के साथ संचालित होगा, प्रत्येक वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ पूरा होगा।

सेना के 200 जवानों ने दिनरात की मेहनत

वैसे तो अस्पतालों का निर्माण होने में काफी समय लग जाता है मगर ब्रिटेन ने अपनी सेना को इस काम में लगा दिया। सेना के 200 जवानों ने अस्पताल बनाने की कमान संभाली, उसके बाद ड्राइंग बनाई गई फिर इस कन्वेंशन सेंटर को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर इसका निर्माण शुरू किया गया। आर्मी के जवान इंजीनियर, डॉक्टर्स की टीम को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। सेना के जवान सारे संसाधनों का बंदोबस्त कर रहे थे।

कर्नल एशलेग बोरेम को दी गई थी जिम्मेदारी

कर्नल एशलेग बोरेम को ये अस्पताल बनाने की जिम्मेदारी दी गई। कर्नल बोरेम दो बार इराक और एक बार अफनागिस्तान का दौरा कर चुके है। उन्होंने बताया कि जब उनको तय समय में इतने बड़े अस्पताल का निर्माण करने की जिम्मेदारी दी गई उसके बाद उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मिशन इस अस्पताल का निर्माण करना हो गया था, उन्होंने इंजीनियरों, डॉक्टरों और जवानों को लेकर इस काम को शुरू किया।

नेशनल हेल्थ सर्विस कर रही प्रोजेक्ट का नेतृत्व

कर्नल एशलेग ने बताया कि ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रही है। उन्होंने कहा कि मिलिट्री का हमेशा एक ही उद्देश्य होता है, वो लोगों की जान बचाने के लिए काम करती है। एशलेग ने 1992 में मिलिट्री ज्वाइन की थी, वो इसी साल रिटायर भी होने वाले है। उन्होंने कहा कि जब देश पर इस तरह की आपदा आ जाती है तो सारी चीजें गौड़ हो जाती है हम सभी की जान बचाने के लिए सोचते हैं। तन-मन लगाकर रात दिन काम करते हैं जिससे जल्द से जल्द सुविधाएं मिल सकें।

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