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अमेरिका ने किया एटमी ग्रेविटी बम का परीक्षण, वैज्ञानिकों ने परीक्षण की आलोचना

अमेरिका ने हाल ही में एक और खतरनाक हथियार का परीक्षण किया है जिसका मकसद परमाणु बमों को और अधिक शक्तिशाली बनाना है। इस बारे में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने सीधे तौर पर कोई जानकारी नहीं दी लेकिन मिलिट्री डॉट कॉम ने बताया कि अमेरिकी वायुसेना ने डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन के साथ मिलकर बी 61-12 का परीक्षण किया है। यह एक ग्रैविटी बम है जो कि फटने से पहले धरती के तीन फीट भीतर तक जा सकता है।

अमेरिका द्वारा टेस्ट किया गया न्यूक्लियर ग्रेविटी बम एक जीपीएस गाइडेड अत्याधुनिक बम है जिसका विकास 2008 से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मकसद बम की सर्विस लाइफ को बढ़ाना था। रिपोर्ट के अनुसार, यह अपनी तरह का पहला परीक्षण है। ग्रैविटी बम हथियारों को तीन गुना अधिक सटीक बना देता है। बी-61 के साथ ही एफ-35 का भी परीक्षण किया गया जो अमेरिका में जल्द ही एक और विकल्प के रूप में उपलब्ध होगा।

हालांकि अमेरिकी वैज्ञानिकों के फेडरेशन ने इस परीक्षण की आलोचना की है। मिलिट्री डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, इसके पहले एफ-15 ई स्ट्राइक ईगल और एफ-16 फाइटिंग फाल्कन का भी टेस्ट किया जा चुका है। राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन (एनएनएसए) द्वारा जारी विज्ञप्ति के के मुताबिक मंत्रालय ने दो गैर-न्यूक्लियर सिस्टम क्वालिफिकेशन फ्लाइट परीक्षण किए हैं। एनएनएसए के प्रमुख सहायक और उप प्रशासक जनरल माइकल ग्रेग ने कहा ये दोनों ही परीक्षण देश की सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेगा। 

सहयोगी देशों पर एटमी आक्रमण पर रोकना है मकसद
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासन में शुरू हुए न्यूक्लियर ग्रेविटी बम कार्यक्रम को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 30 साल तक और आगे बढ़ा दिया है। यह प्रोग्राम 2046 तक पूरा होना है। यह कार्यक्रम हथियारों को सीमित करने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है। यह परीक्षण अमेरिका और इसके साथी देशों पर किसी भी तरह के एटमी आक्रमण पर रोक लगाने के लिए किया गया है।

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