ऑटोमोबाइल कंपनियों और डीलर के करार का आधार होंगे पर्यावरण नियम
दस्तक टाइम्स/एजेंसी : भोपाल | ऑटोमोबाइल कंपनियों को अब डीलरशिप देने से पहले पर्यावरण नियमों पर विशेष ध्यान देना होगा। वाहन निर्माता कंपनियां केवल डीलरशिप देकर पर्यावरण नियमों के पालन की जिम्मेदारी से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकेंगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ऑटोमोबाइल कंपनियों और डीलर के बीच होने वाले करार में पर्यावरण नियमों को खास तौर पर उल्लेख करने के निर्देश दिए हैं।
ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर्स के खिलाफ ओपन आई फाउंडेशन के सचिव रमेश शर्मा द्वारा दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कंपनियों ने अपने जवाब में कहा कि उनका काम डीलर को केवल वाहन बेचना है। उन्हें बेवजह पार्टी बनाया गया है। वे ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर की पेरेंटल कंपनियां नहीं है। पर्यवारण नियमों के पालन की जिम्मेदारी डीलर की है। जवाब असंतुष्ट एनजीटी ने सवाल किया कि अगर आप पेरेंटल कंपनियां नहीं है तो फिर ऑथोराइज्ड डीलर लिखे जाने का मतलब क्या है।
पहले व्यवस्था नहीं थी तो अब लागू करें : एनजीटी ने कहा कि डीलर और कंपनियां बैठक करें और अगर अभी तक करार में पर्यावरण नियमों के पालन का उल्लेख नहीं होता तो इस व्यवस्था को तत्काल बदलें। याचिकाकर्ता की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील शिवेंदु जोशी ने इन ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर को बंद करने की मांग की। मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
चार सर्विस सेंटर को बंद करने के नोटिस
सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने शहर के उन सभी 24 ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर्स की रिपोर्ट पेश की जिनके खिलाफ पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर याचिका दायर की गई है। मंडल ने बताया कि पर्यावरण नियमों का पालन नहीं करने पर चार सर्विस सेंटर को बंद करने के नोटिस जारी किए गए हैं। जबकि तीन पहले से ही बंद हो चुके हैं। एनजीटी ने बिजली विभाग और नगर निगम को चारों सर्विस सेंटर के खिलाफ तत्काल बिजली और पानी के कनेक्शन काटने की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।