राहत सामग्री देते वक्त न खिंचाए फोटो: असीम अरुण
लखनऊ। देश वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से जूझ रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देशन में प्रदेश सरकारें इससे बचाव के इंतजाम में लगी हैं। इससे बचाव के लिए 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की गई है लेकिन इसे लागू कराने और इस दौरान आ रही चुनौतियों से निपटने में यूपी पुलिस लोगों की मदद करने में अहम भूमिका में अदा कर रही है। ऐसे में कई सारे लोग राहत सामग्री लेना तो चाहते हैं पर अपने सम्मान को बचाने के लिए हिचकते हैं। ऐसे कई मामले सामने आने पर यूपी के एडीजी (डायल 112) असीम अरुण ने पुलिसकर्मियों को राहत सामग्री देते वक्त फोटो क्लिक नहीं आदेश दिया है।
अरूण ने उप्र के सभी पुलिस कप्तानों को भेजे गये पत्र में कहा है, ‘पीआरवी द्वारा राहत सामग्री पहुंचाते समय संबंधित की फोटो खींची जाती है जो सोशल मीडिया तक पहुंच जाती है। ऐसा संज्ञान में आया है कि अपना चेहरा सार्वजनिक होने के डर से जरूरतमंद लोग राहत सामग्री प्राप्त करने से कतरा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘अत: आप अपने जनपदों में संचालित पीआरवी को राहत सामग्री देते हुये फोटो न खींचे जाने तथा इस प्रकार की फोटो किसी भी प्रकार के सोशल एप्स पर पोस्ट न करने संबंधी निर्देश निर्गत करें।’
एडीजी अरूण ने बताया, ‘लॉक डाउन शुरू होने के बाद से अभी तक 112 नंबर पर फोन आने के बाद करीब 91 हजार लोगों को भोजन, दवाई आदि पीआरवी के सिपाहियों द्वारा उपलब्ध करायी जा चुकी है। इसके अलावा हजारों लोगो को बिना फोन काल के भी मदद की जा रही है और यह सिलसिला लगातार जारी है।उन्होंने बताया, ‘करीब 1100 महिला और पुरूष पुलिस कर्मी एक भवन के अंदर इमर्जेंसी सेवाओं के 112 नंबर पर आई फोन काल रिसीव करते है जबकि पूरे प्रदेश में 35 हजार पीआरवी (पुलिस की गाडि़यों) पर हजारों जवान चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में आम जनता की उनके दरवाजे पर जाकर मदद कर रहे हैं।