अंधविश्वास के कारण लोग समाचार पत्रों से हो रहे दूर: प्रकाश जावडेकर
नई दिल्ली: अगले सप्ताह से आर्थिक गतिविधियों को भी धीमे धीमे शुरू करने की तैयारियों के बीच केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर का मानना है कि वास्तविक लाकडाउन 28 दिनों का ही है। इसके बाद तो सुरक्षा मानकों के आधार पर जिलेवार आर्थिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। हां उन्होंने स्थानीय स्तर पर पैदा हो रहे कुछ अवरोधों को लेकर जरूर चिंता जताई। खासकर ई-कामर्स के जरिए घर घर आने वाले सामानों, विश्वसनीय जानकारी पहुंचाने वाले समाचार पत्रों को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को जागरुकता के जरिए दूर करने की कोशिश होगी। जावडेकर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी अंधविश्वास के कारण समाचार पत्रों से लोग दूर हैं। उन्होंने एक रिपोर्ट बनाकर भाजपा नेतृत्व को भी दी है। जावडेकर ने कहा कि जान और जहान दोनों जरूरी है। सुरक्षा इंतजाम के साथ जरूरी सामानों के आवागमन में पूरी मदद देनी चाहिए।
20 अप्रैल से कई सेक्टर में शुरू होगा काम
वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए चुनिंदा मीडिया से बात करते हुए जावडेकर ने कहा कि 20 अप्रैल से कई सेक्टर में काम शुरू होगा। इसमें ग्रामीण इलाकों में उद्योग, सिंचाई से जुड़े काम, फूड प्रोसेसिंग, सड़क निर्माण जैसे काम शुरू होंगे। और ऐसे में अभी कुछ दिनों से जिन्हें काम नहीं मिल रहा था उनके पास रोजगार होगा। समाज को इसका स्वागत करना चाहिए और जागरुकता भी फैलानी चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों पर टिप्पणी से इनकार करते हुए जावडेकर ने कहा कि भारत सही दिशा में सही वक्त पर कदम उठा रहा है। यही कारण है कि कई बडे़ देश जहां कोरोना के जाल में उलझ गए हैं, भारत इसे थामने में अब तक सफल रहा है। भारत के कदमों की वैश्विक स्तर पर प्रशंसा हो रही है। लाकडाउन सबसे बड़ा कदम है और इसका प्रभाव भी दिख रहा है। इसे लेकर किसी तरह की राजनीति देश के हित मे नहीं है।
प्रवासियों की भीड़ से जावडेकर चितिंत
बहरहाल, जिस तरह पहले लॉकडाउन की शुरूआत में और फिर दो दिन पहले कुछ स्थानों पर प्रवासियों की भीड़ इकट्ठी हुई, उससे जावडेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि यह देखना पड़ेगा कि आखिर इतनी भीड़ कैसे इकट्ठी हुई। किसने ऐसा किया। जांच में सारी बातें आएंगी। जिसने भी किया वह गलत किया। जावडेकर ने कहा कि कुछ लोग भ्रम फैलाते हैैं कि लोगों को खाना नहीं मिल रहा है। एक महिला की बच्चों समेत आत्महत्या की घटना का जिक्र किया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि उनके घर खाना था, आत्महत्या आपसी लड़ाई के कारण की। सरकार ने लगभग दो लाख करोड़ के पैकेज के साथ यह सुनिश्चित किया है कि हर किसी को खाना मिले। लेकिन कोरोना अभूतपूर्व वैश्विक संकट है। इसमें सबकी भूमिका होनी चाहिए। रोजगार के अवसर फिर से पैदा होंगे। पूरी सुरक्षा बरतते हुए समाज और देश को जान और जहान दोनों की चिंता करनी है।