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9 राज्यों के 11 शहरों के बीच 7 विशेष ट्रेनें, सात हजार लोग और मजदूर लौट रहे घर
नई दिल्ली : कोरोना वायरस के चलते देश में जारी लॉकडाउन के बीच दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों और अन्य लोगों के लिए 7 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इनमें करीब 7 हजार यात्री सफर करेंगे। कुछ ट्रेनें अपने मुकाम तक पहुंच गई हैं, तो कुछ रास्ते में हैं। पहली ट्रेन तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के हटिया के लिए चली थी। यह देर रात हटिया पहुंच गई। इसी तरह नासिक (महाराष्ट्र) से भोपाल (मध्य प्रदेश) ट्रेन भी शनिवार सुबह भोपाल पहुंच गई। केरल के एर्णाकुलम से ओडिशा के भुवनेश्वर तक ट्रेन चल रही है। इसमें 12 सौ लोग सवार हैं, जिनमें ज्यादातर मजदूर और उनके परिवार हैं। उधर, महाराष्ट्र के नासिक से लखनऊ के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली है। इसमें 839 प्रवासी सवार हैं। तिरुवनन्तपुरम के जिला कलेक्टर के. गोपालकृष्णन ने बताया कि आज दोपहर दो बजे एक और ट्रेन झारखंड के हटिया के लिए रवाना होगी। इसमें 12 सौ मजदूर रवाना किए जाएंगे।
ट्रेनें यात्री सवार
जयपुर (राजस्थान) से पटना (बिहार) 1200
कोटा (राजस्थान) से हटिया (झारखंड) 1000
नासिक (महाराष्ट्र) से लखनऊ (उत्तरप्रदेश) 839
नासिक (महाराष्ट्र) से भोपाल (मध्य प्रदेश) 347
लिंगम्पल्ली (तेलंगाना) से हटिया (झारखंड) 1140
एर्णाकुलम (केरल) से भुवनेश्वर ( ओडिशा) 1200
तिरुवनन्तपुरम (केरल) से हटिया (झारखंड) 1200
ट्रेनों को चलाने में गृह मंत्रालय की गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है। कोच में यात्रियों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठाया जा रहा है। रवानगी और संबंधित स्टेशन पर पहुंचने पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। गृह जिले में 14 दिन क्वारैंटाइन करने के बाद ही उन्हें घर भेजा जाएगा। लोगों को भेजने वाली और बुलाने वाली राज्य सरकारों के आग्रह पर ही विशेष ट्रेनें चलेंगी। शुरुआती और आखिरी स्टेशन के बीच में ट्रेनें कहीं नहीं रुकेंगी। श्रमिकों को ट्रेन में बैठाने से पहले स्क्रीनिंग करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी। जिन लोगों में लक्षण नहीं होंगे, उन्हें ही जाने की इजाजत मिलेगी। वहीं छह डिब्बों की ट्रेन 347 मजदूरों को लेकर शनिवार को भोपाल के मिसरोद स्टेशन पहुंची। जिन लोगों के पास पैसे नहीं थे, उनके टिकट जिला प्रशासन ने खरीदे। मध्य प्रदेश सरकार दूसरे राज्यों में फंसे प्रदेश के करीब 40 हजार मजदूरों को बसों के जरिए ले आई है। अब छह राज्यों में फंसे एक लाख छह हजार मजदूरों को वह ट्रेन के जरिए वापस लाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को रेल मंत्री से बात कर 80 से 100 ट्रेनें मांगेंगे और रूट तय करेंगे। भोपाल प्रशासन ने शनिवार को बताया कि 347 मजदूर राज्य के 28 जिलों से हैं। सभी फिट हैं। इनकी फिर उन जिलों में स्क्रीनिंग होगी, जहां इनका घर है।
राजस्थान के जयपुर से 1200 यात्रियों को जयपुर-पटना ट्रेन में रवाना किया गया। वहीं, कोटा से एक हजार छात्र रवाना किए गए। इनमें झारखंड समेत अन्य राज्यों के छात्र शामिल हैं। मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने बताया कि श्रमिक और प्रवासी भारतीय रेलवे को निर्धारित साधारण श्रेणी का किराया देकर विशेष ट्रेनों में यात्रा कर सकेंगे। यात्री जल्द एवं सुरक्षित घर पहुंच सकें, इसके लिए अधिकारी रेलवे के साथ लगातार समन्वय कर रहे हैं। हैदराबाद के लिंगमपल्ली स्टेशन से 1200 प्रवासी मजदूरों को लेकर स्पेशल ट्रेन शुक्रवार देर रात रांची के हटिया रेलवे स्टेशन पहुंची। ट्रेन से उतरने के बाद मजदूरों के चहरों पर मुस्कान दिख रही थी। इस दौरान रेलवे, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे। ट्रेन से उतरने के बाद मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग के तहत स्टेशन के बाहर लाया गया। फिर स्क्रीनिंग के बाद उन्हें उनके जिले के लिए स्टेशन के बाहर लगे बस में बिठाकर घरों की ओर रवाना किया गया। कोटा से 74 छात्रों को लेकर देर रात 12 बजे दो बसें पुणे पहुंचीं। सभी को स्वारगेट बस स्टैंड पर उतारा गया और स्क्रीनिंग की गई। बाद में होम क्वारैंटाइन करने के लिए छात्र-छात्राओं के हाथों पर मुहर लगाई गई। बिहार सरकार के आंकड़े के अनुसार, दूसरे राज्यों में फंसे 28.29 लाख लोगों ने सहायता मांगी है। सोशल डिस्टेंसिंग फार्मूले में एक बस में 25 लोग बैठ पाएंगे। इसे आधार मानें, तो इनको एक बार में लाने के लिए 1,13,160 बसें चाहिए।
बिहार में सिर्फ 20 हजार बसें हैं। इन बसों को 6 चक्कर लगाना पड़ेगा। यानी 6 बार जाना, 6 बार आना। एक बस को औसतन 1500 किमी एक तरफ से तय करने होंगे। ऐसे में 5 से 7 दिन का समय लगेगा। यानी 6 चक्कर में एक से डेढ़ माह। राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को कहा कि दूसरी राज्यों से आने वाले लोगों को अनिवार्य क्वारैंटाइन किया जाएगा। इसकी अवधि 21 दिन होगी।