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हथकरघा उद्योग के सशक्तिकरण विमर्श का दिवस

प्रशांत कुमार पुरुषोत्तम

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर विशेष

पटना: जुलाई मास के अंतिम रविवार को “मन की बात” के 67 वें संस्करण के संबोधन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के विषय को रेखांकित किया। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा – “साथियो, 7 अगस्त को National Handloom Day है।

भारत का Handloom, हमारा Handicraft, अपने आप में सैकड़ो वर्षों का गौरवमयी इतिहास समेटे हुए है।  हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि न सिर्फ भारतीय Handloom और Handicraft का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग करें, बल्कि, इसके बारे में, हमें, ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को बताना भी चाहिए I भारत का Handloom और Handicraft कितना rich है, इसमें कितनी विविधता है, ये दुनिया जितना ज्यादा जानेगी, उतना ही, हमारे Local कारीगरों और बुनकरों को लाभ होगा।”

प्राचीन समय से हीं भारत के कुटीर उद्योगों के उत्पादों के गुणवत्ता की चर्चा होती रही है। काँचीपुरम सिल्क की बात हो या बनारसी सिल्क, छत्तीस गढ़ का कोसा सिल्क हो या असम का मोगा सिल्क,पश्चिम बंगाल की जामधानी हो या बिहार का भागलपुर सिल्क, मध्यप्रदेश का चंदेरी हो या ओडिशा का टसर, इन सबकी अपनी – अपनी विशेषताएँ है। हथकरघा उद्योग के ये उत्पाद न सिर्फ भारतीय उद्योग के रीढ़ रहें हैं बल्कि इन उत्पादों के माध्यम से भारत के विविध सांस्कृतिक इतिहास को भी सँजोने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आज भी शादी – विवाह जैसे अवसरों पर कुटीर उद्योग के उत्पाद खासकर हाथ से बने उत्पादों के उपयोग का प्रचलन है। लोग विशेष अवसरों पर पारंपरिक परिधान आज भी पहनते हैं और स्वयं को मिट्टी से जुड़े रहने के सुखद अहसास का अनुभव करते हैं। चंदेरी के मलमल तो सबके मन को भाते हैं। वाराणसी सिल्क के बेल बूटेदार वस्त्र उपयोगकर्त्ता के काया में चार चाँद लगा देते हैं।

राजस्थान की बंधेज की रंगाई,मछलीपट्टनम के छींटदार कपड़े, हैदराबाद के हिमरूस, पंजाब का खेस, फर्रूखाबाद का प्रिंट, असम और मणिपुर के फेनेक तथा टोंगम, मध्यप्रदेश की माहेश्वरी साड़ियाँ जैसे उत्पाद हथकरघा उद्योग से निकलते हैं।

कालांतर में इन सारे उत्पादों को बनाने वाले उद्योगों पर कड़ी मार पड़ी। उद्योगों का हाल बुरा होने लगा। इन उत्पादों को बनाने वाले कारीगर और शिल्पियों की आर्थिक स्थिति भी बुरी तरह से प्रभावित हुई।

सरकार द्वारा उठाये गये कदम अपर्याप्त सावित हो रहे थे। नये सिरे से पुनः विचार विमर्श किया गया और हस्तकरघा दिवस राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक वर्ष मनाने का निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का उद्येश्य है – हथकरघा उद्योग से बने उत्पादों के बारे में जनजागरूकता फैलाना, हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना आदि।

भारत सरकार ने 29 जुलाई, 2015 की तिथि के राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में अधिसूचित किया। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का उद्येश्य हथकरघा उद्योग के महत्त्व को बताना है। विशिष्ट रूप से इस उद्योग के देश के विकास में सामाजिक और आर्थिक भूमिका के बारे में जागरुकता फैलाना है। हथकरघा उद्योग के समग्र विकास को प्रोत्साहित करना है।बुनकरों की आय को बढ़ाना और उनके गौरव में वृद्धि करना भी इसके विशिष्ट उद्येश्यों में शामिल है।

आखिर 7 अगस्त को हीं राष्ट्रीय हथकरघा दिवस आयोजन करने का निर्णय क्यों लिया गया ? इस निर्णय के पीछे स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य जुड़े हैं। 07 अगस्त की तिथि का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में विशिष्ट महत्त्व है। सन् 1905 ई. मे इस तिथि को कोलकाता के टाउन हॉल में हुए महाजनसभा में स्वदेशी आंदोलन का आगाज किया गया था। इस आंदोलन का उद्येश्यघरेलू उत्पादों और उत्पादन ईकाइयों को पुनर्जीवित करना था। भारत सकार ने इसी आंदोलन के याद में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का उत्तम निर्णय किया।

भारत सरकार का टेक्सटाइल मंत्रालय प्रत्येक वर्ष इसका आयोजन करता है। पूरे देश में अलग – अलग स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाए जाने के निर्णय के पश्चात प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का शुभारंभ 7 अगस्त 2015 को हुआ। मुख्य आयोजन चेन्नई में आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी प्रमुख समारोह के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर “भारत हथकरघा ब्रांड” लांच किया गया था। इस दिवस के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने चुनावी वादे फार्म टू फाइबर, फाइबर टू फैब्रिक, फैब्रिक टू फैशन और फैशन टू फॉरेन को पूरा किया।

कपड़ा मंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी ने हथकरघा पर बने परिधानों कोलोकप्रिय बनाने और बुनकर समुदाय को मदद पहुँचाने के लक्ष्य के साथ सोशल मीडिया पर “आई वियर हैण्डलूम” अभियान की शुरुआत की थी। उनके इस अभियान को अनेक हस्तियों ने समर्थन किया था तथा हथकरघा के परिधान पहने हुई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझा की थी।

द्वितीय राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का मुख्य आयोजन उत्तरप्रदेश के वाराणसी में 7 अगस्त 2016 को हुआ था। 7 अगस्त 2017 को मणिपुर की राजधानी इम्फाल में तृतीय राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का मुख्य आयोजन किया गया। य ह प्थम अवसर था जब किसी पूर्वोत्तर के राज्य में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का मुख्य आयोजन किया गया।

चतुर्थ राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का आयोजन 7अगस्त 2018 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में किया गया जबकि पंचम् राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का आयोजन 7 अगस्त 2019 को ओडीशा की राजधानी भुवनेश्वर में किया गया।

2019 में हथकरघे की समृद्ध परंपरा के कारण भुवनेश्वर को मुख्य आयोजन स्थल के रूप में चुना गया था। भारत के बुनकरों का पचास प्रतिशत से अधिक जनसंख्या पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में बसती है। इनमें अधिकांश महिलाएँ हैं।भुवनेश्वर में दिवस मनाने का उद्येश्य महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त बनाने का संदेश देना था।

इस वर्ष कोविड – 19 को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाये जाने की संभावना है।
भारत दुनियाँ में लगभग 95 प्रतिशत हाथ से बने हुए कपड़े निर्यात करता है। यह तथ्य हथकरघा के देश के आर्थिक विकास में योगदान को रेखांकित करता है। हथकरघा जनसंख्या 2009 -2010 के अनुसार भारत में 43 प्रतिशत लाख लोग हथकरघा उद्योग में कार्यरत हैं।

हथकरघा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार के टेक्सटाइल्स मंत्रालय ने अनेक योजनाएँ चलाई हैं। योजनाएँ निम्न हैं:-

  1. कम्प्रेहेंसिव हैंडलूम कलस्टर डेवलपमेंट स्कीम
  2. कम्प्रहेंसिव हैंडलूम डेवलपमेंट स्कीम
  3. रिवाइवल, रिफार्म एण्ड रिस्ट्रक्चरिंग पैकेज
  4. यार्न सप्लाई ,स्कीम
  5. नॉथ इस्टर्न रिजन टेक्सटाइल्स प्रोमोशन स्कीम
  6. हैंडलूम वेवर्स कम्प्रिहेंसिव वेलफेयर स्कीम
  7. सेंट्रल असिस्टेंस फॉर इम्पलीमेंटेशन ऑफ हैण्डलूम्स

इस शुभ दिवस के अवसर पर अनेक पुरस्कार का वितरण भी किया जाता है। पांचवे राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर पहचानकार्ड और यार्न पासबुक का वितरण किया गया था। मुद्रा ऋण का वितरण ,कार्यस्थलों के निर्माण के लिए लाईटिंग यूनिट और प्रमाण पत्रों का वितरण भी इस दिन किया गया था।

भारतीय संविधान के भाग चार राज्य के नीतिनिर्देशक तत्व के अनुच्छेद 38 (1) में वर्णित है कि राज्य ऐसी सामाजिक व्यवस्था बनाएगा जिसमें सामाजिक आर्थिक राजनैतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं को अनुप्राणित करे, भरसक प्रभावी रूप में स्थापना और संरक्षण करके लोक कल्याण की अभिवृद्धि का प्रयास करेगा।

अनच्छेद 38(2) के अनुसार राज्य , विशिष्टतया, आय की असमानताओं को कम करने का प्रयास करेगा और न केवल व्यष्टियों के बीच बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले और विभिन्न व्यावसायों में लगे हुए लोगो के समूहों के बीच भी प्रतिष्ठा, सुविधाओं और अवसरों की समानता, सुविधाओं और अवसरों की असमानता समाप्त करने का प्रयास करेगा। अनुच्छेद 49 राष्ट्रीय महत्व के वस्तुओं के संरक्षण की बात कहता है।

संविधान में उपरोक्त वर्णित अनुच्छेद एक कल्याणकारी राज्य के लिए आवश्यक है। हथकरघा उद्योग के लिए राष्ट्रीय दिवस का आयोजन संविधान के आदर्शों के अनुकूल है।ये आयोजन स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का स्मरण कराते हैं। स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों हृदय में सँजोना हर भारतीय का संविधान प्रदत्त मौलिक कर्त्तव्य है। इन आदर्शों को सँजोए रखने में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भी सहायता करता है।

आशा है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का आयोजन हथकरघा उद्योग के विकास को निरंतर प्रोत्साहित करेगा। भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगा। भारत सरकार के “वोकल फॉर लोकल” के मंत्र को  आत्मसात करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा, जिससे कारीगर और बुनकरों को भी लाभ होगा।

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