जीवनशैलीदस्तक-विशेष

आत्मनिर्भर भारत में महिलाओं का योगदान

नीतिका वर्मा (अध्यापिका)

सशक्त नारी से ही बनेगा सशक्त समाज

महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दो में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती हैं। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार तथा समाज में बेहतर ढंग से ज़िन्दगी जी सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है। इसमें ऐसी ताकत है कि वह समाज व देश में बहुत कुछ बदल दे।

भारत की लगभग आधी आबादी महिलाओं की है और विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर महिला श्रम में योगदान दे तो भारत की विकास दर दहाई की संख्या में होगी। फिर भी दुर्भाग्य की बात है कि सिर्फ कुछ लोग ही महिला रोज़गार के बारे में बात करते हैं। महिला सशक्तिकरण के लिये महिलाओं का आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर होना बेहद जरुरी है। पुरुषों की भांति महिलाएं भी देश की समान नागरिक है और उन्हे भी स्वावलम्बी होना चाहिये।

ताकि वे समय आने पर व्यवसाय कर सकें और अपने परिवार को चलाने में मदद कर सकें। यही जागरुकता ही तो उनके, उनके परिवार के व देश के विकास को गति देगी एवं एक नई दिशा देगी। महिलाओं की आत्म निर्भरता उनकी जागरुकता और उनकी उन्नति न केवल उनके गृहस्थी के विकास में सहायक साबित होती है बल्कि उनकी आत्म निर्भरता, जागरुकता एवं साक्षरता देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाती है।

हमारे देश में महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिये तरह तरह की योजनाएं चलायी जा रही हैं जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, यह योजना 2011 में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का पुर्नगठन कर शुरु की गयी थी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन देश भर में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह माॅडल को सशक्त करने के लिये शुरु की गयी है। इस योजना के तहत सरकार 7 प्रतिशत ब्याज के दर पर तीन लाख रुपये तक ऋण सुविधा प्रदान करती है। समय पर भुगतान करने पर ब्याज की दर 4 प्रतिशत पर आ जाती है।

इस योजना से आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत ग्रामीण महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद मिलेगी। इसकी सहायता से महिलाएं गांव में ही अपना खुद का रोजगार विकसित कर सकेंगी। इसी प्रकार से प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत मुफ्त में बांटे गये घरेलू गैस कनेक्शन ने भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं के सशक्तिकरण का कार्य किया है। साथ ही प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत महिलाओं के कुल 16.42 करोड़ खाते खोले गये हैं। यह वित्तीय समावेश के क्षेत्र में बड़ी सफलता को दिखाता है। इस योजना ने महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित कर आर्थिक विकास के नये पैमानों को तैयार किया है।

ग्रामीण परिवेश में आज भी महिलाओं के उत्थान के लिये बड़े स्तर पर काम करने की जरुरत है। संसद में भी महिलाओं के प्रतिधित्व को बढ़ाने पर कार्य किया जाना चाहिये। महिला आरक्षण विधेयक को भी पारित कर महिलाओं को और अधिक सशक्त करने की जरुरत है। पण्डित जवाहर लाल नेहरु ने कहा था कि ‘‘लोगों को जगाने के लिये सबसे पहले महिलाओं को जागृत करना होगा‘‘ ‘‘कारण है कि वह हमे आगे बढ़ाती है तब हमारा परिवार चलता है, गांव चलता है और राष्ट्र चलता है‘‘।

Related Articles

Back to top button