पूर्वांचल के किसानों की पसंद नाटी मंसूरी के साथ हरियाणा की बासमती भी
कोरोना काल और बंदी के चलते शहर आने से हिचक रहे किसान
बाजारों में नहीं है रौनक, लॉकडाउन से किसानों के साथ बीज व्यापारी भी बेहाल
वाराणसी : वाराणसी, चंदौली सहित पूर्वांचल के जिलों में किसान अपने खेतों में धान का बेहन (नर्सरी) डालने के लिए बीज के इंतजाम में जुट गये है। बीज व्यापारियों ने भी खरीफ फसल के बुवाई के मौसम को देख स्थानीय बीजों के अलावा बाहर से भी प्रतिष्ठित सीड्स कम्पनियों के बीज का स्टाक मंगा लिया है। विभिन्न जनपदों के छोटे और मझोले बीज विक्रेता इन थोक विक्रेताओं से परिवहन के साधनों से बीज मंगा रहे हैं। कोरोना संकट काल के चलते गिने-चुने किसान ही बाजार में पहुंच रहे हैं। ज्यादातर लॉकडाउन के चलते गांव में ही स्थानीय बीज के सहारे खेती किसानी के मूड में दिख रहे हैं।
लॉकडाउन के चलते बीज बाजारों में किसानों के न पहुंचने से बाजारों में रौनक नहीं है। जगतगंज रामकटोरा बीज बाजार में स्थित मां किसान बीज घर के संचालक सामाजिक कार्यकर्ता राजन राय ने शुक्रवार को ‘हिन्दुस्थान समाचार’से बातचीत में बताया कि पिछले दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के चलते बाजार में किसान नहीं पहुंच पा रहे है। इस वर्ष गेहूं के फसल का दाम भी किसानों को कोरोना संक्रमण काल के चलते नहीं मिल पाया है। उनका गेहूं 14-15 रूपये किलों की दर से बिक रहा है।
ऐसे में उनके पास नये धान के बीज खरीदने के लिए पैसे का इंतजाम ही नही हो पाया है। उपर से लॉकडाउन उनका आना-जाना भी कठिन है। छोटे-छोटे बाजारों के दुकानदार परिवहन के साधनों से बीज अपने यहां मंगा रहे हैं। किसान अपनी जरूरत के अनुसार स्थानीय बाजारों से ही बीज खरीद रहे है। राजन राय ने बताया कि इस वर्ष धान के नये बीजों में नाटी मंसूरी एमटीयू 7029 की मांग अधिक है। इसकी वजह है बीज से अधिक पैदावार। इस धान को स्वर्णा अथवा नाटी मंसूरी (महसूरी) भी कहा जाता है।
इस बीज से प्रति बीघे 20 कुंतल धान पैदा हो जाता है। 145 से 150 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है। फिलहाल इसकी बीज 60 रूपये किग्रा बिक रहा है। इसका अनाज मोटा होता है इसलिए इसकी खपत भी अधिक है। इसी तरह पीटी 524 सांभा मंसूरी धान का बीज भी किसानों को भा रहा है। खाने में महीन चावल लोगों को खूब पसंद आती है। इसकी उपज 16 कुंतल प्रति बीघा होती है। फसल 140 दिन में तैयार हो जाता है। ये 65-70 रूपये किग्रा की दर से बिक रहा है। इसी तरह मोती गोल्ड भी पूर्वांचल में खूब बिकता है। इस बीज से पैदा धान पतला और महीन होता है। 85 रूपये किग्रा के दर से इसके बीज की बिक्री हो रही है। इसी तरह सम्पूर्णा कावेरी सीड्स का बीज भी किसान ले रहे है। 140 दिन में इसकी फसल तैयार होती है।
राजन राय ने बताया कि मोती एनपी 307 भी किसान और मझोले दुकानदार खरीद रहे है। प्रति बीघे में 15-16 कुंतल अनाज पैदा हो जाता है। 80 रूपये किग्रा के दर से इसका बीज उपलब्ध है। इसी तरह चिंटू धान के बीज भी लोग खरीद रहे है। अंकुर सोनम के साथ हरियाणा के बासमती (पूसा) धान का बीज भी किसान खासकर बड़े काश्तकार मंगा रहे है। इसकी उपज 10 कुंतल प्रति बीघा है। इसका दाना खाने में स्वादिष्ट और सुगन्धित होता हैं।
सरयू 52 भी किसान ले जा रहे है। इस बीज से 12 कुंतल प्रति बीघा फसल मिलती है। 110-120 दिन में तैयार हो जाती है। इसका बीज 40 रूपये प्रति किग्रा के दर से उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बीज निगम और राज्य बीज निगमों द्वारा उत्पादित बीज भी बाजार में उपलब्ध हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, बीएचयू सहित विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय के बीज भी बाजार में उपलब्ध है।