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ड्रोन हमले को मात देने के लिए डीआरडीओ तैयार कर रहा है नया हथियार

नई दिल्ली : डीआरडीओ (रक्षा मंत्रालय के संस्थान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की महिला महानिदेशक (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार प्रणाली संकुल) डॉ. जे मंजुला ने बताया कि डी-फोर ड्रोन सिस्टम ने (जम्मू में) हमले का पता लगाया होगा क्योंकि इसकी रेंज 4 किलोमीटर से अधिक है। सिस्टम का उद्देश्य दुष्ट ड्रोन को व्यवधान, संचार के लिए पहुंचने से पहले उसका पता लगाना है और यह वापस जा सकता है या हम इसे भौतिक रूप से नष्ट कर सकते हैं। जम्मू में हुए ड्रोन अटैक के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं।

डीआरडीओ द्वारा एक ऐसे एंटी ड्रोन सिस्टम पर काम किया जा रहा है, जो इस तरह के अटैक को विफल कर सकता है। जम्मू में वायुसेना के एयरबेस पर हाल ही में हुए ड्रोन अटैक के बाद सुरक्षा एजेंसियां चौकन्ना हो गई हैं। इस अटैक के बाद भी जम्मू के कुछ हिस्सों में ड्रोन देखा गया है। इस बीच अब इस मामले में रक्षा विकास एवं अनुसंधान संगठन एक्टिव हुआ है और उसके एंटी-ड्रोन सिस्टम की चर्चा जारी है।

डीआरडीओ की महानिदेशक जी. मंजुला इस एंटी-ड्रोन सिस्टम पर पिछले तीन साल से काम कर रही हैं, उनके मुताबिक, यह सिस्टम तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले छोटे ड्रोन का पता लगाकर उसे जाम कर देता है, इसके साथ ही यह सिस्टम 1 से 2.5 किमी. के दायरे में आए ड्रोन को अपनी लेज़र बीम से निशाना बनाते हुए उसे नीचे गिरा देता है।

डॉ. जे मंजुला ने बताया कि अगले 6 महीनों में ये सेनाओं को मिल सकता है। डीआरडीओ ने अपने एंटी-ड्रोन सिस्टम का उत्पादन भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड को सौंपा है। डीआरडीओ अपने इस सिस्टम की तकनीक निजी कंपनियों से साझा करने के लिए भी तैयार है, इसके लिए निजी कंपनियों को उससे लाइसेंस लेना होगा।

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