भारतीय वन्य जीव संस्थान में जुटे इन प्रतिनिधियों ने इको सिस्टम सर्विसेज, वित्तीय संसाधन, प्रौद्योगिकी, परंपरा, जैव विविधता संरक्षण आदि बिंदुओं पर खाका तैयार किया था। विशेषताओं और कमियों की सूची भी यहां तैयार की गई थी। साथ ही यह भी तय कर लिया गया था कि जलवायु परिवर्तन के मामले में कौन सा देश किस विशेषज्ञता में दूसरे की मदद कर सकता है।
भारतीय वन्य जीव संस्थान में सितंबर में आयोजित बैठक में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने पहले सामूहिक रूप से जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, इको सिस्टम, जैव विविधता पर मंडरा रहे संभावित खतरों की समीक्षा की। इसके बाद प्रत्येक प्रतिनिधि ने अपने देश की जलवायु परिवर्तन की स्थिति, विशेषज्ञता और कमियों के संबंध में सूची तैयार की।
बैठक में ब्रिटेन, चीन, जर्मनी, सूडान, बोसनिया, कनाडा आदि देशों के प्रतिनिधियों ने वन विस्तार और कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन भी विचार रखे थे। संयुक्त राष्ट्र के संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे थे।
कार्यक्रम में विश्व के सभी देशों की सरकारों से जलवायु परिवर्तन की इस मुहिम में सक्रियता दिखाने का भी अनुरोध किया गया। कार्यक्रम में आए प्रतिनिधियों ने ग्रुप डिस्कशन के बाद यह रिपोर्ट अपनी सरकारों को भेजी थी। इन्हीं मुद्दों पर पेरिस में हो रहे शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श किया जा रहा है।