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हवा में घुले ज़हर से हर साल हो रही 70 लाख मौतें, जारी की नई गाइडलाइंस

नई दिल्ली- विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने 15 साल बाद बुधवार (22 सितंबर) को पहली बार एयर क्वालिटी पर अपनी गाइडलाइन्स जारी की है। WHO की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण की वजह से हर वर्ष वैश्विक स्तर पर करीब 70 लाख लोगों की मौत हो रही है और इसे रोकने के लिए और सख्त गाइडलाइंस ना सिर्फ बनाने की जरूरत है बल्कि उस पर अमल करने की भी जरूरत है।

WHO ने कहा कि इन गाइडलाइंस का उद्देश्य वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली हार्ट और लंग्स से जुड़ी गंभीर बीमारियों और उससे मौत के मामलों को कम करना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के 194 सदस्य देशों को जारी WHO ने नई गाइडलाइन्स में प्रदूषकों के अधिकतम अनुशंसित स्तर को घटा दिया है।

क्या है WHO की नई गाइडलाइन्स?
WHO ने अपनी नई गाइडलाइन्स में जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन में पाए जाने वाले पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन डाइॉक्साइड के स्तर को घटाने की सिफारिश की गई है। दिशा-निर्देश में कहा गया है कि वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन का कारक होने के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लगभग सभी प्रदूषकों के मानकों के स्तर को घटा दिया है और कहा है कि इसका पालन कर पूरी दुनिया में अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है।

इन 6 प्रदूषिक कणों से लोग गंवा रहे हैं जान
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि PM 2.5, PM 10, ओजोन, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड की लगातार चपेट में आने की वजह से करीब 70 लाख लोग जान गंवा रहे हैं।

भारत में एयर क्वॉलिटी मानक
PM 2.5, एनुअल मीन- 40, 24 घंटे में 60
PM 10, एनुअल मीन- 60, 24 घंटे में 100
NO2, एनुअल मीन- 40, 24 घंटे में 80
SO2, एनुअल मीन- 50, 24 घंटे में 80

80 फीसद मौतों के लिए पीएम 2.5 जिम्मेदार
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डीजी टेड्रोस अधनाम गेब्रियसस ने कहा कि वो वैश्विक समाज और सरकार से अनुरोध करते हैं कि इन प्रदूषक तत्वों के उत्सर्जन के लिए जो गाइडलाइंस बनाई गई हैं उसका पालन करें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मानवता खतरे में पड़ जाएदी।

WHO की गाइडलाइन्स में कहा गया है कि अगर प्रस्तावित मानकों का पालन किया गया तो PM 2.5 से दुनियाभर में होने वाली 80 फीसदी मौतों को रोका जा सकता है।

प्रदूषक कणों से ऐसे हो रही हैं इंसान की मौत
WHO ने कहा कि पार्टिकुलेट मैटर सांस के जरिए सीधे इंसान के फेफड़ों तक पहुंच जाता है और वहां से खून में घुल-मिल जाता है, इससे इंसान की मौत हो जाती है। पीएम मैटर अधिकांशत: जीवाश्म ईंधन की वजह से परिवहन, ऊर्जा, उद्योग, कृषि उद्योग और घरों से सबसे ज्यादा उत्सर्जित होते हैं।

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