नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जंतर मंतर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. दिल्ली के किसानों से जुड़े ‘किसान महापंचायत’ नाम के संगठन द्वारा दायर इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, आप ट्रेनें रोक रहे हैं, हाइवे बंद कर रहे हैं. क्या शहरी लोग अपना बिजनेस बंद कर दें. क्या ये लोग शहर में आपके धरने से खुश होंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आपने पूरे शहर को अवरुद्ध कर रखा है, और अब आप शहर के भीतर आकर प्रदर्शन करना चाहते हैं. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस रविकुमार की बेंच ने कहा, आप कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, इसका मतलब है कि आपको कोर्ट पर भरोसा है. फिर विरोध प्रदर्शन की क्या जरूरत.
सभी को स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार
बेंच ने कहा, नागरिकों को बिना किसी डर के स्वतंत्र रूप से घूमने का समान अधिकार है और विरोध में उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. कोर्ट ने कहा, संतुलित दृष्टिकोण होना चाहिए. कोर्ट ने कहा, आपको प्रदर्शन का अधिकार है. लेकिन प्रदर्शन के नाम पर सरकारी संपत्ति को नुकसान और सुरक्षाकर्मियों पर हमले की अनुमति नहीं दी जा सकती.
वहीं, महापंचायत की ओर से पेश वकील अजय चौधरी ने कोर्ट में कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा. उन्होंने कहा, हाईवे पुलिस द्वारा बंद किए गए हैं. हमने हाईवे बंद नहीं किए. हमें पुलिस ने हिरासत में भी लिया था. हम जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया कि किसान महापंचायत अलग ग्रुप है. यह हाईवे के बंद होने के लिए जिम्मेदार नहीं है.
4 अक्टूबर को अगली सुनवाई
अब इस मामले में 4 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी. कोर्ट ने ‘किसान महापंचायत’ नाम के संगठन से हलफनामा पेश करने के लिए कहा है कि वे घोषित करें कि वे राजधानी के बॉर्डर्स पर हो रहे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं हैं.