गोरखपुर: बर्डवॉच, नेचर ट्रेल और पक्षियों के संरक्षण को लेकर सक्रिय हेरिटेज एवियंस से जुड़ी युवा वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर करिश्मा सिंह उदास हैं। मंगलवार, गुरुवार और बुधवार तीन दिन रामगढ़झील एरिया में सुबह 5 बजे से 8 बजे तक करिश्मा में अपने कैमरे में पक्षियों की तकरीबन 16 प्रजातियां कैंद कीं। लेकिन उन्हें दुख इस बात है कि कुछ एक को छोड़ सभी प्रजातियां रामगढ़ झील नहीं बल्कि उसके आस-पास की छोटे-छोटे तालाब में मिलीं। रामगढ़झील की तुलना हम मुम्बई के मरीन ड्राइव से कर आनंद का अनुभव करते हैं लेकिन झील की प्राकृतिक विरासत, पक्षियों के प्रवास और प्रजनन स्थलों के लिए हम बड़ा संकट खड़ा कर रहे हैं। यूपी की पहली अधिसूचित वेटलैंड रामगढ़ झील की दलदली जमीन पक्षियों के लिए न केवल आहार का जरिया है, बल्कि मानसून सीजन में सुरक्षा की दृष्टि से उनका प्रजनन स्थल भी। लेकिन जलकुम्भी की साफ-सफाई में जाने-अनजाने पक्षियों के लैंडिंग, लेइंग और हैचिंग स्थल उजाड़ दिए। हेरिटेज एवियंस के संयोजक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर अनुपम अग्रवाल कहते हैं कि रामगढ़ झील का दिन-ब-दिन बढ़ता सौंदर्य पर्यटकों में लोकप्रियता बटोर रहा। काफी संख्या में यह लोगों के रोटी और रोजगार का प्रत्यक्ष माध्यम भी है। लेकिन दिन ब दिन यहां पक्षियों की संख्या में आती गिरावट की चिंता करनी ही पड़ेगी। हालांकि शहीद अशफाक उल्ला खॉ प्राणी उद्यान के वेटलैंड में हजारों की संख्या में पक्षी हैं। यहां काफी शांति है, खाने का इंतजाम भी।
तीन दिन के अपने सर्वेक्षण में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर करिश्मा ने शिकरा, ग्रेड कार्मोरेंट, इग्रेट (बड़ा बगुला), साल्टमार्श स्पैरो, रेड वेंटेज बुलबुल, ब्लैक ड्रोगो, पॉण्ड हेरॉन, स्वैलो, रेड वेंटेड लैपविंग (टिटहरी), कौवा, किंगफिशर, मधुमक्खी, लिटिल इग्रेट, ब्लैक हेडेड (क्राउन) नाइट हेरॉन, कैटल एग्रेट, लिटिल कार्मोरेंट को अपने कैमरे में कैंद दिया।
जनवरी 2020 में तत्कालीन जीडीए उपाध्यक्ष अनुज सिंह और गोरखपुर वन प्रभाग के डीएफओ अविनाश कुमार ने हेरिटेज फाउंडेशन और हेरिटेज एवियंस के हस्तक्षेप पर झील के ऐसे हिस्से जहां पक्षियों की आमदरफ्त अधिक थी,जलकुंभी हटाने का काम रोक दिया था। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि था कि पक्षियों के लैंडिंग, लेइंग और हैचिंग साइट को चिन्हित कर उनका न केवल संरक्षण किया जाएगा। बल्कि झील के ऐसे चिन्हित हिस्से नो-एक्टिविटी जोन भी घोषित होंगे। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर धीरज कुमार सिंह के मुताबिक तब यह भी तय हुआ था कि झील के कुछ एरिया को चिन्हित कर उन क्षेत्रों में मछली मारना, जलकुम्भी निकालना, किसी व्यक्ति जाना, शोर करना और ऐसी गतिविधि जिससे पक्षियों के रहवास में व्यवधान पड़े, प्रतिबंधित होगा। झील में कुछ स्थानों पर छोटे-छोटे माऊंट भी बनाए जाएंगे। कुछ स्थानों पर बांस की मदद से मचान या फ्लोटिंग मचान बनाया जाएगा। इन पर अमल हुआ होता तो झील में पक्षियों की आमदरफ्त बनी रहती।