पुणे: पद्म विभूषण से सम्मानित भारत के जाने-माने इतिहासकार और लेखक बाबासाहेब पुरंदरे का सोमवार सुबह पुणे के दीनानाथ मंगेशकर मेमोरियल अस्पताल में निधन हो गया। छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्यगाथा और उनके योगदान को अपनी लेखनी के माध्य से घर-घर तक पहुंचाने वाले बलवंत मोरेश्वर उर्फ बाबासाहेब पुरंदरे 99 वर्ष के थे और सौवें साल में प्रवेश कर चुके थे।
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, पुरंदरे को शनिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां बाद में हालात गंभीर होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। इसके बाद से ही उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सका। बताया गया था कि बाबा पुरंदरे अपने घर में बाथरूम में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था। उनके निधन की खबरों के बाद देशभर में उनके चाहने वालों ने शोक व्यक्त किया है। अस्पताल के बयान में बताया गया कि आज सुबह 10 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
29 जुलाई 1922 को पूना (अब, पुणे) के पास सासवड में जन्मे पुरंदरे कम उम्र से ही छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से मोहित हो गए थे और उन्होंने उन पर काफी रिसर्च कर निबंध और कहानियां लिखीं, जो बाद में एक पुस्तक रूप ‘थिनाग्य’ (स्पार्क्स) में प्रकाशित हुईं।
शिव शाहिर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर पीएम मोदी ने भी दुख जताया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि मैं इस सूचना से दुखी हूं और मेरे पास शब्द नहीं हैं। बाबासाहेब पुरंदरे का निधन इतिहास और संस्कृति की दुनिया में एक बड़ा शून्य छोड़ गया। उन्हीं की बदौलत आने वाली पीढ़ियां छत्रपति शिवाजी महाराज से और जुड़ेंगी। उनके अन्य कार्यों को भी याद किया जाएगा।
बाबा पुरंदरे के बारे में..
बाबासाहेब पुरंदरे देश के लोकप्रिय इतिहासकार-लेखक रहने के साथ थिएटर कलाकार भी रह चुके थे। उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज पर अपने विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। बाबा पुरंदरे ने शिवाजी के जीवन से लेकर उनके प्रशासन और उनके काल के किलों पर भी कई किताबें लिखीं। इसके अलावा उन्होंने छत्रपति के जीवन और नेतृत्व शैली पर एक लोकप्रिय नाटक- जानता राजा का भी निर्देशन किया था।