मुलायम की निगाह अब अंसारी बंधुओं पर
लखनऊ (दस्तक ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने बाहुबली अतीक अहमद को अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद सूबे के बहुचर्चित बाहुबली भाइयों मुख्तार अंसारी और अफजल अंसारी को अपने पाले में लाने की कवायद शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव की आहट के बीच सपा ने दागी छवि के अतीक को न सिर्फ पार्टी में शामिल किया बल्कि सुल्तानपुर से पूर्व में घोषित प्रत्याशी शकील का टिकट काटकर उन्हें दे दिया। माना जा रहा है कि 2०14 के लोकसभा चुनावों में मोदी फैक्टर की वजह से उत्तर प्रदेश में वोटों के धु्रवीकरण की संभावना को देखते हुए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अल्पसंख्यक वोटों को अपने पाले में करने के लिए हर दांव आजमाना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव से पहले माफिया डी.पी. यादव की एंट्री रोककर पार्टी ने शुचिता की उम्मीद जगाई थी लेकिन अतीक अहमद को सुल्तानपुर से लोकसभा का प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही पार्टी की यह सोच अब धुंधली सी हो गई है। मालूम हो कि अतीक 2००4 में फूलपुर लोकसभा सीट से सपा के ही टिकट पर चुनाव लड़े थे। 2००8 में उनके और सपा के रिश्ते तल्ख होने लगे। बताया गया कि विधानसभा चुनाव में बीएसपी की जीत के बाद अतीक बसपा के करीब जाने लगे थे। इससे मुलायम नाराज हो गए और अतीक को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद वह बसपा में शामिल हुए। लेकिन वहां से 2००9 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया तो वह अपना दल में शामिल हो गए। अपना दल के टिकट पर अतीक 2००9 का लोकसभा चुनाव लड़े और हार गए। बहरहाल अतीक के सपा में शामिल होने के बाद अब चर्चा है कि आपराधिक छवि वाले बाहुबली नेता और विधायक मुख्तार अंसारी और गाजीपुर से पूर्व सांसद अफजल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का जल्द ही सपा में विलय हो सकता है। सपा सूत्रों की मानें तो अंसारी बंधुओं और मुलायम सिंह के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। मुलायम अंसारी बंधुओं पर इस बात के लिए दबाव बना रहे हैं कि वे अपनी पार्टी का सपा में विलय कर अगला लोकसभा चुनाव लड़ें जबकि अंसारी बंधु फिलहाल पार्टी के विलय के बजाए सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के अलावा भी दर्जन भर मामले दर्ज हैं।