नई दिल्लीः भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने स्वदेशी में विकसित अगली पीढ़ी के बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन का पहला सेट मंगलवार को सेना की कोर ऑफ इंजीनियर्स में शामिल किया। यह प्रणाली भारतीय सेना की मौजूदा इंजीनियर टोही क्षमताओं को बढ़ाएगी और भविष्य के संघर्षों में मशीनीकृत संचालन के समर्थन में एक गेम-चेंजर साबित होगी। इसके अलावा भारतीय सेना जल्द ही 7 लाख स्वदेशी रूप से विकसित ‘निपुण’ एंटी टैंक माइंस को अपने हथियार के जखीरे में शामिल करने जा रही है। इन माइन्स में आरडीएक्स का शक्तिशाली मिश्रण होगा। दुश्मनों के टैंकों से लड़ने के लिए भारत में बने एंटी टैंक माइंस ‘विभव’ और ‘विशाल’ की नेक्सट जेनरेशन का ट्रायल किया जा रहा है।
भारतीय सेना के एक अधिकारी ने मंगलवार को खुद ट्वीट कर जानकारी दी कि भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स को पहली डिफेंस लाइन के रूप में तैयार किए गए व्यक्तिगत और टैंक-विरोधी माइन्स का एक नया सेट मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इससे सेना को दुश्मन व उसके द्वारा किसी बख्तरबंद पर लगाई गई माइन्स के खिलाफ या किसी आतंकी के शिकार के दौरान ये एंटी-पर्सनल माइन्स काम आएंगी। नेक्स्ट जेनरेशन मेड इन इंडिया एंटी टैंक माइंस विभव और विशाल को डीआरडीओ ने भारतीय सेना के लिए विकसित किया है और यह उपयोगकर्ता परीक्षण के उन्नत चरण में हैं। नई एंटी टैंक माइंस में उनके उन्नत डिजाइन और सेंसर के कारण दुश्मन के टैंकों के खिलाफ अधिक रोधक शक्ति है। इससे भारतीय सेना को घात लगाकर बैठे दुश्मन के खिलाफ लड़ने में बड़ी सफलता मिल सकती है।
दरअसल, कई बार दुश्मन सेना पर हमला करने के लिए माइन्स का इस्तेमाल करते हैं। अब इससे निपटने के लिए सेना ने भी अपना तरीका ढूंढ़ निकाला है। सेना को मिल रही नई स्वदेशी एंटी पर्सनल और एंटी टैंक माइंस चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर फ्रंट लाइन वॉरियर के रूप में काम करेंगी और भारतीय धरती पर दुश्मन के कदम पड़ते ही उसे खत्म कर देंगी। भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि यह दुश्मन की सेना और बख्तरबंदों या अपने क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों के खिलाफ काम करेंगे। एंटी टैंक और एंटी पर्सनल माइंस को पुणे में पेनेक्स-21 के दौरान स्वदेशी उपकरणों की प्रदर्शनी में शामिल किया गया है। यहां कोर ऑफ इंजीनियर्स दुश्मन के खिलाफ अभियान चलाने और अपने क्षेत्रों की रक्षा करने के लिए सेना में शामिल किए गए स्वदेशी उपकरणों का प्रदर्शन कर रहे हैं।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना 7 लाख स्वदेशी ‘निपुण’ एंटी-पर्सल माइंस को शामिल करने जा रही है, जिसमें पावरफुल आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया है। इस माइन को एक भारतीय आयुध निर्माता कंपनी ने डीआरडीओ के साथ विकसित किया है। दुश्मनों के टैंकों से लड़ने के लिए भारत में बने टैंक रोधी माइंस ‘विभव’ और ‘विशाल’ की नेक्सट जेनरेशन का ट्रायल किया जा रहा है। भारतीय सेना ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को पानी उपलब्ध कराने के लिए 200 हाई हेड वॉटर पंप शामिल करना शुरू कर दिया है, जो उन क्षेत्रों में अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर पानी और ईंधन पहुंचाने में मदद कर सकते हैं। इनमें से 200 पंपों को इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट पावर के तहत इंजीनियर्स कोर में शामिल किया जा रहा है।