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स्वस्थ आंतों के लिए प्रतिदिन करें इस आसन का अभ्यास

तितली आसन का अर्थ है एक ऐसा आसन जिसको करते वक्त शरीर की मुद्रा किसी तितली के समान दिखाई देती हो। यह आसन सरल आसनों में से एक है। इसका आसन कोई भी कर सकता है। इस आसन से महिलाओं को विशेष फायदे पहुंचते हैं। कई सारे लोगों के शरीर में बिल्कुल भी लचीलापन नहीं होता है। ऐसे लोगों को इस आसन का नियमित अभ्यास करना चाहिए।

लाभ–

तितली आसन गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी होता है।
पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए इसका नियमित अभ्यास करें।
जांघों का मोटापा कम करने में भी तितली आसन सहायक है।
इसके अभ्यास से निचले शरीर में लचीलापन आता है।
आंतों की समस्याओं को दूर करने में भी तितली आसन लाभकारी है।
मूत्ररोग के मरीजों को भी तितली आसन करने से फायदा पहुंचता है।
विधि-

तितली आसन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अब दोनों पैरों को मोड़ते हुए तलवों को एकदूसरे से मिला लें। पैरोंं को हाथों से पकड़कर अंदर की ओर खींचने का प्रयास करें, कोशिश करें कि एड़ियां शरीर को छू लें। उसके पश्चात जांघों पर जोर देते हुए घुटनों को तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे कोशिश करने का प्रयास करें। इस दौरान मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है, साथ ही घुटनों को ऊपर- नीचे करते हुए जमीन से छूने का प्रयास करें। 20 से 30 सेकंड या उससे अधिक भी इस आसन का अभ्यास किया जा सकता है।

सावधानियां-

गर्भवती महिलाएं प्रशिक्षक की निगरानी में ही इस आसन का अभ्यास करें। यदि आपके घुटने या पीठ के निचले हिस्से में किसी प्रकार की चोट लगी हो तो इसका अभ्यास न करें। मासिक धर्म के दौरान इस आसन से परहेज करें।

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