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यूक्रेन से लाए विद्यार्थियों की पढ़ाई जारी रखने के उपायों पर हो रहा विचारः केंद्र सरकार

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह युद्धग्रस्त यूक्रेन से ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत से वापस लाए गए करीब 22,500 मेडिकल विद्यार्थियों की भविष्य की पढ़ाई जारी रखने के विकल्पों पर विचार कर रही है।

मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केन्द्र सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल एवं अन्य पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद यूक्रेन से विद्यार्थियों को वापस लाने एवं उनकी भविष्य की पढ़ाई को लेकर व्यक्त की गई चिंताओं से संबंधित दो याचिकाओं का निपटारा किया।

वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि सरकार ने 22,500 विद्यार्थियों को वापस लाने का एक बड़ा काम पूरा किया है तथा अब उनके भविष्य की पढ़ाई से संबंधित चिंताएं दूर करने को लेकर विचार कर रही है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी ने पीठ के समक्ष गुहार लगाते कहा था कि विद्यार्थियों की शिक्षा में बाधा नहीं आनी चाहिए तथा उन्हें यहां पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है।

तिवारी के अलावा यूक्रेन के ओडेसा में नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी की छात्रा फातिमा अहाना ने यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने के लिए केंद्र सरकार को आवश्यक निर्देश देने की गुहार लगाते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने 4 मार्च को केंद्र सरकार से कहा था कि वह यूक्रेन में फंसे नागरिकों की चिंताओं पर विचार करें। केंद्र सरकार ने यूक्रेन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ शुरू किया था।

विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि यूक्रेन और पड़ोसी देशों – पोलैंड, स्लोवाकिया गणराज्य, हंगरी, रोमानिया और मोल्दोवा में दूतावास के अधिकारियों ने 26 फरवरी को शुरू किए गए ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत भारतीय नागरिकों को निकालने में रूसी भाषी अधिकारियों के साथ अथक प्रयास किए थे।

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