2027 तक उत्तराखंड को मलेरिया मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य तय हुआ
हर साल 25 अप्रैल को मलेरिया के खिलाफ लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाया जाता है। इस अवसर पर उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य में पिछले 7 साल में मलेरिया के मामलों में 99.11 प्रतिशत की कमी आई है और इन आंकड़ों से उत्साहित होते हुए अब उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने लक्ष्य तय किया है कि 2027 तक मलेरिया मरीजों की संख्या शून्य पर लाने का प्रयास किया जाएगा । जाहिर है कि 2027 तक उत्तराखंड ने अपने को मलेरिया मुक्त राज्य बनाने की दिशा में कमर कस ली है।
वर्ष 2014 से 2021 के बीच राज्य में मलेरिया के मामले तकरीबन 99.11 प्रतिशत तक घट गए हैं। इतना ही नहीं, प्रदेश को मलेरिया मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग मलेरिया उन्मूलन कार्ययोजना पर भी काम कर रहा है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में पिछले साल मलेरिया के महज 13 मामले रिपोर्ट किए गए। ये मामले भी सिर्फ तीन जिलों हरिद्वार, चम्पावत व नैनीताल के तराई क्षेत्र से रिपोर्ट किए गए थे। वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डा. पंकज सिंह का कहना है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद इस दिशा में किए जा रहे प्रयास सफल नजर आ रहे हैं।
विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश भर में गोष्ठियां आयोजित की गईं जिसके माध्यम से आमजन को मलेरिया उन्मूलन के प्रति जागरूक किया गया।
वर्तमान में उत्तराखंड के राज्यों की मलेरिया नियंत्रण में स्थिति :
वर्तमान में राज्य के छह जनपद अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी में मलेरिया रोगियों की संख्या शून्य है। इन जिलों के मलेरिया मुक्त प्रमाणीकरण की प्रक्रिया चल रही है। बीते साल देहरादून, पौड़ी, टिहरी व ऊधमसिंह नगर में भी मलेरिया रोगियों की संख्या शून्य पाई गई। जबकि तीन जनपद चम्पावत, हरिद्वार व नैनीताल को मलेरिया उन्मूलन जनपदों की श्रेणी में रखा है। इन्हें मलेरिया मुक्त बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
विश्व मलेरिया दिवस 2022 की थीम-
हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर एक विशेष थीम रखता है। वर्ष 2022 की थीम है ‘मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें।” इस थीम के जरिए लोगों को मलेरिया से सुरक्षित रहने के नए उपायों को बारे सोचने को प्रेरित करना है।
गौरतलब है कि मलेरिया मादा मच्छर एनाफिलीज के काटने से फैलता है। इस मच्छर में प्लाज्मोडियम नाम का परजीवी (प्रोटोजोआ) पाया जाता है। मच्छर के काटने से यह मनुष्य के रक्त में पहुंचकर कई गुना बढ़ता है और फिर शरीर को बीमार कर देता है।