उत्तराखंड

उत्तराखंड में दुनिया का पहला लिक्विड मिरर टेलिस्कोप स्थापित हुआ

देहरादून: भारत सहित विश्व पहला लिक्विड मिरर टेलीस्‍कोप उत्तराखंड में नैनीताल स्थित देवस्‍थल ऑर्ब्‍जेवट्री में एक पहाड़ी के ऊपर लगाया गया है। इसे भारत ने बेल्जियम और कनाडा के खगोलविदों की मदद से बनाया है। यह समुद्र तल से 2450 मीटर की ऊंचाई पर लगाया है। एक वैज्ञानिक मिशन के रूप में यह विभिन्‍न साइंस ऑब्‍जर्वेशन में मदद करेगा। यह तरल पारे की एक पतली फिल्म से बना 4 मीटर व्यास का रोटेटिंग मिरर जैसा है, जो प्रकाश को इकट्ठा करने और उस पर फोकस करने का काम करता है। 

नैनीताल स्थित आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्‍जर्वेशनल साइंस (एरीज) के डायरेक्‍टर प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी ने कहा कि एस्ट्रॉनॉमिक ऑब्जर्वेशन के लिए दुनिया में पहली बार यह टेलीस्‍कोप इस्तेमाल हो रहा है। देवस्थल ऑब्‍जर्वेट्री में अब चार-मीटर क्‍लास के दो टेलीस्‍कोप लगाए जा चुके हैं।


इस टेलीस्‍कोप ने 95 हजार प्रकाश वर्ष दूर एनजीसी 4274 आकाश गंगा की साफ तस्वीर ली है। इसके साथ ही इसने मिल्की-वे के तारों को भी आसानी से कैमरे में कैद किया है। 

गौरतलब है कि साल 2017 में बेल्जियम, कनाडा, पोलैंड , उज़्बेकिस्तान समेत 8 देशों की मदद से एरीज ने 50 करोड़ की मदद से इंटरनैशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप प्रोजेक्ट शुरू किया था। कोरोना के कारण इसके सेटअप में देरी हुई। अब इसे इंस्टाल कर दिया गया है।

इस टेलीस्कोप का उपयोग सितारों, अंतरिक्ष मलबे एवं उपग्रहों जैसे खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने हेतु किया जाएगा. इस टेलीस्कोप के माध्यम से तारा समूहों, आकाशीय पिंडों की खोज, आकाशगंगाओं, बाइनरीज स्टार्स, गुरुत्वाकर्षण लेंस प्रणाली समेत अनेक अनसुलझे अंतरिक्ष विषयों के शोधों को आगे बढ़ाया जाएगा। इस टेलीस्कोप से आकाशगंगाओं के आकार में होने वाले परिवर्तन की जानकारी मिल सकेगी। आकाश में उड़ने वाली वस्तुओं के अतिरिक्त उल्कावृष्टि जैसी घटनाओं को कैमरे में कैद कर सकेगा। यह टेलीस्कोप किसी भी तारे के घनत्व, तापमान और अन्य बारीक जानकारी जुटाने में मददगार साबित होगा।

Related Articles

Back to top button