उत्तर प्रदेश में दिखने लगा डीजल-पेट्रोल का संकट, उत्तराखंड में भी बढ़ी परेशानी, एमपी-राजस्थान में नहीं मिल रहा तेल
नई दिल्ली : देश में कोरना महामारी के बाद बढ़ी औद्योगिक गतिविधियों के चलते देश में पेट्रोल और डीजल की किल्लत होनी शुरू हो गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे हालात दुनियाभर में बन रहे हैं। हालांकि भारत में रिफाइनरी क्षमता से ज्यादा मांग हो जाने की वजह से परिस्थितियां बिगड़ गई हैं। इनके एक से दो महीनों में पूरी तरह सुधरने के आसार हैं।
पेट्रोल और डीजल मामलों के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने हिन्दुस्तान को बताया है कि दुनियाभर में इस समय औद्योगिक गतिविधियां बढ़ रही हैं इसमें डीजल का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही निजी जरूरत के लिए पेट्रोल का इस्तेमाल बढ़ रहा है। भारत में कच्चे तेल की कोई किल्लत नहीं है, समस्या उसे रिफाइन कर पेट्रोल-डीजल में परिवर्तित कर पंपों तक पहुंचाने की क्षमता की है। अप्रत्याशित मांग को देखते हुए देश की मौजूदा क्षमता कम पड़ रही है।
सरकारी क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन एचपीसीएल ने ट्वीट कर कहा है कि रीटेल आउटलेट्स पर कई दिनों में कुछ राज्यों में अप्रत्याशित मांग देखने को मिली है। पिछले साल अप्रैल-मई के मुकाबले इस साल इन महीनों में राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में पेट्रोल और डीजल की मांग में 40 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ देखी गई है। साथ ही निजी तेल मार्केटिंग कंपनियों की तरफ से सप्लाई की कमी से भी ये बोझ सरकारी तेल कंपनियों के ऊपर आ गया है। हालांकि एचपीसीएल ने ये भरोसा दिलाया है कि वो ग्राहकों को समुचित सप्लाई के लिए हमेशा प्रतिबद्ध हैं और पंप डीलरों को जिस दिन मांग जनरेट की जाएगी उसी दिन डिलिवरी की भी व्यसस्था सुनिश्चित की जा रही है।
तेल कंपनियों ने पेट्रोल पंपों के तेल आपूर्ति कोटे में कटौती कर दी है। इसका असर लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में दिखने लगा है। रविवार और शनिवार को एचपीसीएल के कुछ पेट्रोल पंपों पर बंदी जैसी स्थिति रही। बीपीसीएल के कुछ पंपों पर दो से तीन घंटे तेल नहीं मिला। हालांकि इन कंपनियों के क्षेत्रीय बिक्री अफसरों ने तेल संकट से इंकार किया है। वहीं पेट्रोल पंप एसोसिएशन ने कहा कि एचपीसीएल के पंपों पर तेल आपूर्ति बाधित रही है।
लखनऊ में अयोध्या रोड पर स्थित रिलायंस का पेट्रोल पंप कई दिनों से बंद है। एस्सार के पंपों को भी पूरा तेल नहीं मिल पा रहा है। डीजल व पेट्रोल संकट पर आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बुधवार को पड़ताल की तो पता चला कि आईओसी को छोड़कर अन्य कम्पनियों के पम्पों को उनकी जरूरत के मुताबिक पेट्रोल डीजल नहीं मिल पा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक पंप के मैनेजर ने बताया कि उनकी रोज की बिक्री औसतन 20 हजार लीटर है, जबकि उन्हें 12 हजार लीटर डीजल-पेट्रोल ही मिल रहा है। यह समस्या 10 दिनों से खड़ी हुई है।
नोएडा में फेज दो स्थित पेट्रोल पंप संचालक और यूपी पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव धर्मवीर चौधरी ने बताया कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा में पेट्रोल-डीजल मांग के मुकाबले 20 प्रतिशत कम मिल रहे हैं। कंपनियों के पेट्रोल पंप पर भविष्य में दिक्कत आ सकती है। मेरठ और पूर्वांचल के जिलों में ज्यादा दिक्कत है। जिले में 86 पंप हैं। जिसमें 50 डीलर चलाते हैं। यूपी पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएश के अध्यक्ष नरंजीत गौर ने कहा कि एचपीसीएल के पंपों की सप्लाई कम दी जा रही है। बाकी तेल कंपनियों की आपूर्ति सामान्य है।