रुचिरा कंबोज बनीं संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि
नई दिल्ली: जब भी संयुक्त राष्ट्र की किसी बैठक में आप यूएन में भारत के परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव को भारत के हितों के मजबूत दलीलें देते हुए सुनते होंगे तो आपको गर्व का अनुभव होता होगा क्योंकि उसमें भारत का नेतृत्व और विजन दिखाई देता है। इसलिए ये बड़ा ख़ास पद है । अब विदेश मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की है कि रुचिरा कंबोज अब संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि की जिम्मेदारी निभाएंगी।
वे यूएन में भारत के मौजूदा स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति की जगह लेंगी। रुचिरा कंबोज भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) की 1987 बैच की अफसर रही हैं। मौजूदा समय में रुचिरा भूटान में भारत की राजदूत की जिम्मेदारी निभा रही हैं। रुचिरा भूटान में भारत की पहली महिला राजदूत हैं। इससे पहले वे दक्षिण अफ्रीका में भारत की उच्चायुक्त और यूनेस्को में भारत की राजदूत/स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर काम कर चुकी हैं।
उनके करियर की शुरुआत की बात करें तो रुचिरा कंबोज के करियर की शुरुआत फ्रांस में थर्ड सेक्रेटरी के तौर पर हुई थी। इस दौरान उन्होंने फ्रेंच भाषा सीख ली और जल्द फ्रांस स्थित भारतीय दूतावास में सेकेंड सेक्रेटरी का पद संभाला। इसके बाद उन्होंने विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहते हुए पश्चिमी यूरोप डिविजन का कामकाज देखा। इसके बाद रुचिरा फर्स्ट सेक्रेटरी (इकॉनमी और कमर्शियल) बनकर मॉरीशस पहुंचीं। इसके बाद वह विदेश मंत्रालय के कई मुख्य पदों पर रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र का स्थायी मिशन:
स्थायी मिशन वह राजनयिक मिशन है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य राज्य द्वारा अपना एक स्थायी प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र में नियुक्त किया जाता है। इस स्थायी प्रतिनिधि को ‘संयुक्त राष्ट्र का राजदूत’ (UN Ambassador) भी कहा जाता है।
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय स्थायी मिशन:
वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र में अवर सचिव जनरल (Under Secretary General) और सहायक महासचिव (Assistant Secretary General) के वरिष्ठ पदों पर आठ भारतीय नियुक्त हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर राजनेता अर्कोट रामासामी मुदलियार तथा स्वतंत्रता सेनानी हंसा मेहता, विजयलक्ष्मी पंडित और लक्ष्मी मेनन सेवाएं दे चुके हैं।