नई दिल्ली। महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री (former chief minister) और शिवसेना प्रमुख (Shiv Sena chief) उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का समर्थन मजबूर होकर किया है। यह आरोप विपक्ष के राष्ट्रपति पद उम्मीदवार (presidential candidate) और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने लगाया है। गुवाहाटी में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वो किसी राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की ताकत से लड़ रहे हैं। यशवंत सिन्हा के बड़े दावे ने शिवसेना की अंदरूनी कलह को एक बार फिर जगजाहिर कर दिया है।
उद्धव ठाकरे जो शुरू में विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के समर्थन में थे, शिवसेना सांसदों के साथ बैठक के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वे राष्ट्रपति पद के लिए एनडीएम उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देंगे। हालांकि अपने बयान में उद्धव ने कहा था कि शिवसेना हमेशा से राष्ट्रपति पद के लिए अपना स्वतंत्र निर्णय लेती रही है। उनके बयान के पीछे कारण यह है कि उनके गठबंधन महा विकास अघाड़ी के दो अन्य दल एनसीपी और कांग्रेस ने विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को अपना समर्थन दिया हैा।
राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष को कमजोर करने के लिए केंद्र पर हर तरह की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह “प्रवर्तन निदेशालय के दुरुपयोग करने का परिणाम है कि शिवसेना ने द्रौपती मुर्मू को अपना समर्थन दिया है। बता दें कि उद्धव ठाकरे की घोषणा को उनकी पार्टी में बढ़ते विभाजन को रोकने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि, पहले से महाराष्ट्र में सरकार गिरने के बाद उद्धव के समक्ष बड़ी चुनौती पार्टी में टूट को रोकना है। पहले से ही शिवसेना के 55 में से 40 विधायक सीएम एकनाथ शिंदे को अपना समर्थन दे चुके हैं। इसके अलावा हाल ही में पार्टी सांसदों की बैठक में 6 का उपस्थित न होना उद्धव के लिए नई मुश्किल खड़ी कर सकता है।
यशवंत सिन्हा ने कहा, “तृणमूल कांग्रेस पूरी तरह से मेरा समर्थन कर रही हैं। आम आदमी पार्टी जल्द ही निर्णय लेगी, मुझे इसकी जानकारी है। विपक्षी खेमे में केवल एक पार्टी एनडीए उम्मीदवार का समर्थन कर रही है – वह शिवसेना है। तेलंगाना राष्ट्र समिति विपक्ष की बैठक का हिस्सा नहीं थी, लेकिन यह अभी भी मेरा समर्थन कर रही है, इसलिए हमारे पास विपक्ष का बहुत समर्थन है।” द्रौपदी मुर्मू उन पार्टियों की गिनती कर सकती हैं, जो पहले ही उनका समर्थन करने का वादा कर चुकी हैं, वे इलेक्टोरल के 60 प्रतिशत से अधिक वोटों की उम्मीद कर सकती हैं। शिवसेना के अलावा, इस सूची में ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड भी शामिल हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से व्यापक रूप से उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने की उम्मीद है क्योंकि मुर्मू उनके राज्य की राज्यपाल रही हैं। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया जा सकता है और सांसदों और विधायकों को अपनी इच्छानुसार मतदान करने की अनुमति है।