दस्तक-विशेष

कहानी-आजादी के लिए

लेखक- जंग हिन्दुस्तानी

जंगल के बीचो-बीच बनी एक कॉलोनी और उसके बीच खाली पड़ा मैदान, खरगोश परिवार के लिए रहने के लिए स्वर्ग से कम नहीं था। जगह जगह अलग-अलग उनके बिल बने हुए थे लेकिन अंदर से सभी बिल एक जगह से जुड़े हुए थे। खरगोश का पूरा खानदान एक साथ रहता था। खरगोश परिवार का मुखिया ज्यादातर घर के अंदर ही रहता था और अब वह बीमार हो चला था जिस के नाते उसके परिवार के और सदस्य बाहर से लाकर उसके लिए भोजन का इंतजाम कर दिया करते थे। खरगोश का पूरा परिवार दिन भर आराम करता था। बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलता था घरेलू जरूरत की सारी चीजें उन लोगों ने घर में ही जुटा रखी थी। आज सावन पूर्णमासी की रात है। खूब बारिश हो रही है। सभी खरगोश बाहर मैदान में मजे ले रहे हैं। इसी बीच खरगोश के दो बच्चों को एक उन्हीं के जैसा जीव दिखाई पड़ा जो बहुत डरा हुआ था। वह एक छोटे से पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। खरगोश के बच्चों ने उससे पूछा कि भाई तुम कौन हो? हमने तो तुम्हें पहली बार देखा है। इस पर उसने कहा कि मैं सेही हूं। मेरा घर यहां से काफी दूर है । मैं बिल में रहते रहते ऊब चुका था और बिल के बाहर की दुनिया को देखने के लिए मैं अपने माता पिता को बिना बताए एक साथी के साथ घूमने के लिए आया था, लेकिन बिछड़ गया हूं। मुझे मेरे साथी ने यही रुकने के लिए कहा था लेकिन 2 दिन हो गए और वह नहीं आया है। पता नहीं कहां चला गया है। मुझे लगता है कि अब मैं नहीं बच पाऊंगा।

खरगोश के बच्चों को इस नन्हे से जीव पर दया आ गई और उन्होंने कहा कि तुम मेरे साथ चलो। मेरे घर में रहो। वहां पर तुम्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। खरगोश के दोनों बच्चे उस नन्हे से जीव को लेकर घर में आए। सुबह जब सारे खरगोश नाश्ते पर इकट्ठा हुए तो बच्चों ने उस नन्हे से जीव को मुखिया के सामने हाजिर किया और सारी दास्तान बताई। मुखिया ने कहा कि इसे इसी वक्त सभी ले जाकर घर के बाहर छोड़ कर के आओ। तुम जिस जीव को लेकर के आए हो, यह कोई साधारण जीव नहीं है ।यह सेही का बच्चा है। अभी छोटा है तो यह अच्छा है, इसके बाद जब इसके कांटे निकलेंगे तो तुम लोगों को यहां से भाग जाना पड़ेगा। इस कांटेदार जीव के साथ रहना बहुत महंगा पड़ेगा। खरगोश के दोनों बच्चों ने हाथ जोड़कर मुखिया से कहा कि दादा इस समय यह बच्चा बहुत मुसीबत में है। हमें इसकी मदद करनी चाहिए। बाहर इसे चील कौवे उठा ले जाएंगे। भले ही इसके लिए हमें अपना घर दूसरी जगह बनाना पड़े लेकिन हम इसे मरने के लिए बाहर नहीं छोड़ सकते।

बच्चों की बात पर मुखिया को भी तरस आ गया। उन्होंने कहा कि ठीक है लेकिन इस से दूरी बनाकर के रखना। अब सेही का बच्चा खरगोश परिवार का हिस्सा बन चुका था। घर के सभी छोटे-बड़े सदस्य सेही के बच्चे को बहुत प्यार करते थे और उसके लिए पत्ती और घास ला करके दिया करते थे। रात में टहलाने के लिए भी ले जाया करते थे। अब सेही का बच्चा जिसे सभी खरगोश शेरू के नाम से बुलाते थे,वह धीरे धीरे बढ़ रहा था और उसके शरीर पर मुलायम बाल सख्त नुकीले भाले की तरह हो चले थे। इधर खरगोश के दोनों बच्चे भी बड़े हो गए थे। शेरू के पैरों में जान आ गई थी इस नाते

शेरू ने धीरे-धीरे खोद कर बिल के अंदर बड़ा मकान बना लिया था। खरगोश परिवार के कुछ सदस्यों को शेरू का उनके घर में रहना पसंद नहीं आ रहा था, लेकिन शेरू के अच्छे व्यवहार के कारण वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे। बसंत का महीना आ गया था। खरगोश परिवार के सदस्य रात में घूमने टहलने के लिए ओस से भरे हुए मैदान से निकलते हुए सड़क के किनारे और दक्षिण में बने हुए स्कूल के आसपास तक गए। उनके साथ शेरू भी था। मस्ती करते करते खरगोश के बच्चे इधर उधर खूब घूमे, उनमें दौड़ भी हुई और अचानक गायब हो गए । शेरू ने उन्हें तलाशने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मिले।निराश लौटकर जब वह अपने बिल में आया तो खरगोश परिवार के सभी सदस्य मौजूद थे। शेरू ने उन्हें बताया कि हम लोग टहलते टहलते जंगल की तरफ चले गए और हम लोगों में दौड़ हुई। हम काफी आगे निकल गए थे लेकिन हमारे पीछे आने वाले हमारे साथी पता नहीं कहां गायब हो गए। लौट कर के हमने उन्हें बहुत ढूंढा लेकिन वह नहीं मिले मुझे लगता है कि वह कहीं रास्ता भटक गए होंगे। खरगोश परिवार के एक सदस्य ने शेरू को धमकाते हुए कहा कि अगर सुबह तक बच्चे लौट कर के नहीं आए तो हम लोग तुम्हें जान से मार देंगे। खरगोश परिवार बच्चों के गायब होने के मुद्दे पर दो भाग में बंट चुका था । आधे सदस्य कह रहे थे कि इसमें शेरू का कोई हाथ नहीं है। शेरू शाकाहारी है, वह हमारे बच्चों को मार करके क्या करेगा? रात होते ही खरगोश परिवार के सभी सदस्य ढूंढने के लिए निकले तो उनमें से फिर दो गायब हो गए।

अब खरगोश परिवार को पूरा यकीन हो चुका था कि कोई और है जो उनके परिवार के सदस्यों का शिकार कर रहा है। सब लोग अपने बिल में भागकर पहुंचे। थोड़ी देर बाद उन्हें एहसास हुआ कि कोई उनके पीछे-पीछे उनके बिल तक आया हुआ है। हिम्मत करके एक खरगोश बाहर निकला तो शोर मचा कर बिल के अंदर वापस आया और बोला कि एक तेंदुआ घूम रहा है जो दक्षिणी छोर वाली बिल के ऊपर बैठा हुआ है। पश्चिमी छोर से बाहर निकल कर खरगोश परिवार के मुखिया ने तेंदुए से कहा कि हम गरीब लोगों का शिकार क्यों करते हो? तुम्हारे पास हिम्मत है तो जाकर हिरण का शिकार करो। तेंदुए ने गुर्राते हुए कहा कि हिरण का शिकार हम बाद में करेंगे। पहले हम तुम लोगों को निपटाएंगे या तो तुम लोग रोज शाम को हमें एक खरगोश खाने के लिए भेजो, नहीं तो हम तुम्हारे पूरे परिवार को बाहर नहीं निकलने देंगे।

तेंदुए की धमकी को सुनकर मुखिया ने आकर पूरे परिवार को बताया। पूरे परिवार में सन्नाटा छा गया। सभी बहुत दुखी हो गए कि अब हम आजादी से स्कूल के मैदान में नहीं घूम पाएंगे। जो लोग बाहर निकले, उनकी मौत निश्चित है। समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए? शेरू ने कहा कि आप जाकर तेन्दुए से कहिए कि हमें तुम्हारी शर्त मंजूर है। रोज रात को आठ बजे आ जाया करें , हम आपका स्वागत कर लिया करेंगे। खरगोश परिवार के सदस्यों में शेरू का विरोध करने वालों ने कहा कि तुम तो यही चाहते ही हो कि मेरा परिवार समाप्त हो जाए। हम लोगों में से किसकी जान प्यारी है जो जाकर के तेंदुए का निवाला बनेगा? शेरू ने कहा कि बिल में गुलाम बनकर कैद रहने से अच्छा है कि आजादी की मौत मरना। मेरी बात मान लो और पहली कुर्बानी मैं दूंगा। इसके अलावा और कोई चारा भी नहीं है, लेकिन तेंदुए को यह पता नहीं चलना चाहिए कि आपके परिवार में मैं भी रहता हूं।

शेरू की बात को मानते हुए मुखिया ने इस बार पूर्वी छोर से बिल से बाहर निकल कर कहा कि हमें तुम्हारी शर्त मंजूर है। कल से आपको शिकार मिल जाएगा। ठीक 8 बजे रात को आ जाना। आज तेंदुए को बिना मेहनत के मिलने वाले शिकार के बारे में सोच कर के बहुत खुशी है। आज उसने कुछ खाया पिया भी नहीं है। शाम की दावत का इंतजार कर रहा है लेकिन समय कटता ही नहीं है। किसी तरह रात के 8:00 बज गए हैं। दूर कहीं कुत्ते की भौंकने की आवाज आ रही है। तेंदुआ पूर्वी छोर की बिल पर बैठकर सूखी हड्डी चबाते हुए शिकार का इंतजार कर रहा है। आठ बज गए, सवा आठ बज गए। साढे आठ बज गए, शिकार बाहर नहीं निकल रहा है। गुस्सा और भूख बढ़ती चली जा रही है। तेंदुए को लगता है कि खरगोश परिवार ने धोखा दे दिया है।

अब किसी के बिल से निकलने की आवाज आ रही है। तेंदुआ चौकन्ना हो गया है। अचानक बिल से निकलते ही शिकार को तेंदुए ने अपने मुंह में भर लिया लेकिन यह क्या? पूरी बाजी पलट गई।तेन्दुआ रूई के धोखे में कपास खा गया। शिकार खरगोश ना होकर सेही था। सेही के पूरे कांटे तेंदुए के मुंह में घुस गए थे और दर्द के मारे उसकी जान निकल रही थी। जमीन में मुंंह रगड़ते हुए तेंदुआ भाग चला। शेरू तो दांतो का दबाव पड़ने के कारण घायल हो गया था । तेंदुआ काफी दूर चला गया तो खरगोश परिवार घायल शेरू के पास आया। सभी रो रहे थे। शेरू ने सभी को समझाते हुए कहा कि हर प्राणी की मौत निश्चित है। मौत से कोई बच नहीं सकता। आज नहीं तो कल हमें मरना ही होगा लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने आप लोगों की आजादी के लिए अपनी यह तुच्छ भेंट दी है। आप लोगों ने मुझे गैर होते हुए भी अपनी वतन में और दिल में जगह दी तो मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं आप की आजादी को बरकरार रखने के लिए अपनी जान दे दूं। मेरी मौत का आप सभी गम नहीं करना। अगले बार मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा कि मुझे खरगोश परिवार में जन्म मिले।

इतना कहते ही शेरू के प्राण पखेरू उड़ गए।शेरू अपनी जान गवा बैठा था लेकिन मरते मरते उसने तेंदुए को मरणासन्न कर दिया। तेंदुए का पूरा मुंह घायल हो चुका था। तेंदुआ जितना ही कांटा निकालने का प्रयास करता था उतना ही और भी ज्यादा घायल होता जा रहा था। दूर बैठे हुए खरगोश परिवार के सदस्य इस पूरे घटना को देख रहे थे और शेरू की कुर्बानी पर रोते हुए उसकी तारीफ कर रहे थे। भोर होते होते तेंदुआ मर चुका था और खरगोश परिवार को आजादी मिल चुकी थी ।
आज एक बार फिर खरगोश परिवार जंगल के अंदर बनी हुई सरकारी कॉलोनी के बीचो बीच मैदान में घूम टहल कर आजादी का जश्न मना रहे थे और शेरू की कुर्बानी को याद करके गीत गा रहे थे।

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