सीबीआई जांच के दायरे में आए अफसरों की संख्या बढ़ी, एजेंसी के अपने भी शामिल
नई दिल्ली । भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल सरकारी कर्मचारियों की संख्या में 2021 के दौरान काफी बढ़ी। एक सरकारी रिपोर्ट से यह पता चला है। इसी तरह सीबीआई से जुड़े कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई लंबित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से अपने भाषण में भ्रष्टाचार को जल्द खत्म करने की अपील करते हुए देश की सबसे बड़ी समस्या बताया था।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की रिपोर्ट, जिसे हाल ही में सार्वजनिक किया गया था, के अनुसार, 2021 के अंत तक अभियोजन की मंजूरी के लिए विभिन्न विभागों में 633 सरकारी कर्मचारियों से जुड़े 171 भ्रष्टाचार के मामले लंबित हैं।
इनमें से अधिकतम 65 मामले वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के हैं, जिसमें 325 अधिकारी शामिल हैं। इसी तरह 67 कर्मचारियों के खिलाफ 12 मामले केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग के हैं। इसके अलावा रेल मंत्रालय के 30 अधिकारी और रक्षा मंत्रालय के 19 अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं।
सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार के पास आठ मामले लंबित हैं, जिसमें 15 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी गई है। इसी तरह, जम्मू-कश्मीर में आठ अधिकारियों से जुड़े पांच मामले लंबित हैं। जबकि दिल्ली सरकार के पास 36 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी के लिए चार मामले लंबित थे।
इनमें से ज्यादातर मामले सीबीआई के पास हैं, जो देश की सबसे प्रमुख जांच एजेंसी मानी जाती है। ऐसे में जानकर हैरानी होगी कि आंकड़ों के मुताबिक खुद एजेंसी के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के 75 मामले चल रहे हैं।
इन 75 मामलों में से 55 मामले सीबीआई के ग्रुप ए अधिकारियों के खिलाफ थे, जबकि 20 मामले एजेंसी के ग्रुप बी और सी कर्मचारियों के खिलाफ थे।
गौरतलब है कि 2021 के अंत तक सीबीआई के ग्रुप ए अधिकारियों के खिलाफ 55 मामलों में से 27 मामले चार साल से अधिक समय से लंबित हैं। इसी तरह, ग्रुप बी और सी कर्मचारियों के खिलाफ 20 मामलों में से नौ ऐसे हैं, जो चार साल से अधिक समय से लंबित हैं।
सीवीसी का कहना है कि सभी संबंधित मंत्रालयों और विभागों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 19 के तहत अभियोजन की मंजूरी के अनुरोध पर त्वरित निर्णय लेने की जरूरत है। इसमें यह भी कहा गया है कि संशोधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अनुसार, सरकार या किसी सक्षम प्राधिकारी को तीन महीने के भीतर अपना फैसला सुनाना चाहिए।
सीवीसी की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कुल 7,273 स्वीकृत पदों के मुकाबले 2021 के अंत तक सीबीआई में 1,533 पद खाली थे।
रिपोर्ट में समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालने पर जोर दिया गया है।
सीबीआई के साथ मासिक समीक्षा बैठक करने वाले सीवीसी ने एजेंसी को सभी लंबित मामलों को 90 दिनों के भीतर निपटाने की सलाह दी।