नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमूला को सस्पेंड किए जाने वाले जांच कमेटी के बारे में दिए बयान पर विवाद हो गया है। स्मृति ने कहा था कि सस्पेंड करने के लिए जिस जांच कमेटी ने सिफारिश की थी, उसके प्रमुख दलित शिक्षक थे, जबकि शिक्षक और अधिकारियों की प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि ये तथ्य सही नहीं हैं। इन लोगों ने यह भी कहा कि जो जांच कर रहे थे वह एक उच्च जाति के सदस्य थे और एक्जिक्यूटिव काउंसिल की सब कमेटी में भी कोई दलित नहीं है।
बयान में कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय मंत्री ने घटना पर गलत तथ्य पेश किए हैं और कहा कि असलीयत में सबसे वरिष्ठ दलित प्रोफेसर के नेतृत्व वाली कार्यकारी परिषद की सब कमेटी ने छात्रों को सस्पेंड करने की सिफारिश की थी। उच्च जाति के एक प्रोफेसर इस कमेटी के प्रमुख थे और इस कमेटी में कोई दलित नहीं था।
इस खबर से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
केंद्रीय मंत्री का गलत तथ्य पेश करना दुर्भाग्यपूर्ण
सस्पेंड करने वाली कमेटी के अध्यक्ष अगड़ी जाति के
कमेटी में दलित फैकल्टी से कोई नहीं
डीन, स्टूडेंट वेलफेयर, कमेटी में सैद्धांतिक तौर पर शामिल
छात्रों को निष्कासित करने का अधिकार हॉस्टल वॉर्डन को नहीं
ये सिर्फ संयोग कि हॉस्टल वॉर्डन दलित हैं
हॉस्टल वॉर्डन ने सिर्फ उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन किया
स्मृति का बयान
स्मृति ईरानी ने कहा था कि कार्यकारी परिषद की सब-कमेटी के प्रमुख एक सबसे सीनियर प्रोफेसर थे और यहां फिर से मैं ये कहने के लिए मज़बूर हूं कि ये प्रोफेसर खुद दलित समुदाय से हैं और इस कमेटी ने छात्रों के निष्कासन के लिए सिफारिश की थी।
वाइस चांसलर का बयान
इससे पहले एनडीटीवी की कनसल्टिंग एडिटर बरखा दत्त से बात करते हुए यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने कहा था कि जांच कमेटी में कोई दलित सदस्य नहीं था इसलिए एक दलित प्रोफ़ेसर से राय ली गई थी। फैसला उनके अकेले का नहीं था, लेकिन यह नहीं कहा था कि जांच दल के प्रमुख दलित शिक्षक थे।