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ये थी जम्मू कश्मीर में सरकार गठन टालने की वजहें

mehbooba-mufti-56b0d003ccd1f_exlstएजेन्सी/पीडीपी की ओर से सरकार गठन को टालने और कड़े रुख अपनाने अपनाने की पीछे दो अहम कारण रहे। पहला यह कि मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के चालीस दिन के शोक के दौरान पीडीपी किसी भी तरह के जश्न से परहेज करना चाहती है।

दूसरा अहम कारण यह था कि अफजल गुरु की फांसी की बरसी तक पीडीपी इस मुद्दे को टालना चाहती थी। संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु की फांसी की बरसी से ठीक पहले सरकार के गठन से पीडीपी को घाटी में अधिक विरोध झेलना पड़ सकता था।

यह बरसी मंगलवार को निपट गई। अब मुफ्ती का चालीसवां 16 फरवरी को पूरा हो जाएगा। तब पीडीपी के रुख में भी नरमी आ सकती है।

जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन के लिए भाजपा में मंथन शुरू हो गया है। केंद्रीय नेतृत्व ने जम्मू के नेताओं से फीडबैक लिया और संघ के अधिकारियों ने गठबंधन एजेंडे की समीक्षा की है।

गठबंधन एजेंडे को लागू करने पर संघ की ओर से भाजपा को हरी झंडी दे दी गई है लेकिन पीडीपी की नई शर्तों के आगे घुटने नहीं टेकने के निर्देश हैं। सरकार गठन में पैदा हुए गतिरोध को समाप्त करने के लिए भाजपा महासचिव राम माधव का पीडीपी नेताओं से अनौपचारिक संपर्क भी शुरू हो गया है।

अगले सप्ताह पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के साथ राम माधव की औपचारिक बैठक श्रीनगर में प्रस्तावित है। सूत्रों के मुताबिक राम माधव का श्रीनगर दौरा 13 फरवरी को प्रस्तावित था लेकिन अब इसे 16 फरवरी के बाद करने के संकेत हैं।

सूत्रों के मुताबिक बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ निर्मल सिंह की दिल्ली में संघ के अधिकारियों के साथ लंबी बैठक हुई है। जम्मू-कश्मीर के भाजपा संगठन मंत्री अशोक कौल की भी संघ के अधिकारियों से विचार-विमर्श हुआ है।

भाजपा के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष सत शर्मा भी दिल्ली में हैं लेकिन उनका कहना है कि वह एक शादी समारोह में शिरकत करने गुड़गांव आए हैं। निर्मल सिंह की संघ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में वह शामिल नहीं रहे।

पीडीपी विश्वास बहाली के उपायों पर जोर दे रही है। लिहाजा भाजपा और संघ के अधिकारियों की बैठक में भरोसा बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा हुई।

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