चंडीगढ़ : पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में बढ़ती आवारा पशुओं की संख्या सबसे बड़ी परेशानी का सबब बनी हुई है। पिछले पांच सालों में आवारा पशुओं के कारण करीब 3000 हादसे हुए जिनमें 900 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। ऐसे में सरकार को इस दिशा में गौ-सरंक्षण को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाना चाहिए।
प्रदेश में अधिकतर गौशाला और नंदीशालाएं समाज सेवी संस्थाओं या ग्राम पंचायत की ओर से संचालित की जा रही है, अगर उन्हें सही ढंग से आर्थिक सहयोग दिया जाए तो आवारा पशुओं से निजात पाई जा सकती है। बार-बार हरियाणा को आवारा पशु मुक्त बनाने की घोषणाएं करने से कुछ नहीं होगा, घोषणाओं को अमली जामा पहनाने की दिशा में भी उचित कदम उठाना होगा।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में गौशाला और नंदी शालाओं की संख्या कम नहीं है अगर उन्हें मदद दी जाए तो आवारा पशुओं से मुक्ति पाई जा सकती है। तीन दिन पूर्व गुरुग्राम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अधिकारियों के लिए नए निर्देश जारी करते हुए कहा था कि अब राज्य को आवारा पशु मुक्त बनाने की दिशा में कार्य किया जाएगा।
पंचायती जमीन पर गौशाला चलाने की इच्छुक सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के साथ समझौता ज्ञापन हो इसके अलावा अतिरिक्त गौवंश रखने की पेशकश करने वाली गौशालाओं को विशेष ग्रांट दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने ऐसी ही घोषणा 15 अगस्त 2017 को भी की थी। घोषणाओं इसलिए पूरी नहीं होती क्योंकि सरकार घोषणा करके भूल जाती है, सरकार गोशालाओं और नंदी शालाओं की पूरी मदद नहीं करती।
जब भी राज्य को आवारा पशु मुक्त करने की बात होती है तो सबसे पहले पशु पालन विभाग या नगर परिषद, पालिका या निगम आवारा पशुधन की टैगिंग करवाता है, उन्हें पकडक़र गौशाला भेजा जाता है। बाद में टैग उतार कर फिर सडक़ों पर छोड़ दिया जाता है यानी एक पशु को बार-बार पकड़ने का भुगतान करना होता है। इतने पशु सडक़ों पर नहीं होते जितने आवारा पशु पकडक़र गौशाला या नंदी शाला में भेजे जाते हैं। इस खेल के चक्कर में आवारा पशु गौशाला या नंदीशाला में कम और सडक़ों पर ज्यादा दिखाई देता है। गुरुग्राम, हिसार, सिरसा, भिवानी, करनाल तथा पानीपत जिलों को आवारा पशुओं का आतंक सबसे ज्यादा है।
सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि वह प्रति पशु चारे के लिए सालाना 7 हजार रुपए गौशालाओं को देती है। हरियाणा की 91 गौशालाओं ने गौ सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजा है कि वे अतिरिक्त गौवंश रखने को तैयार हैं। बशर्ते उन्हें सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार प्रदेश को आवारा पशुओं से मुक्त करना चाहती है तो उसे गोशाला और नंदीशालाओं को और सशक्त करना होगा।
कुमारी सैलजा ने कहा कि अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले पांच साल में आवारा पशुओं के कारण करीब 3000 हजार हादसे हुए जिसमें करीब 900 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ऐसे हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को सरकार 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद देती है ऐसे में सरकार को इसे बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना चाहिए।