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…जब महज 1 वोट से गिर गई थी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार, पूर्व PM की जयंती पर पढ़ें यह किस्सा

Atal Bihari Vajpayee: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती है। दिवंगत अटल जी के जीवन से जुड़े कई सारे किस्से मशहूर हैं। ऐसा ही एक किस्सा हम भी आपको बताने जा रहे हैं। यह वो किस्सा है जब केंद्र में अटल जी की सरकार महज एक वोट से गिर गई थी। जी हां, बात 1999 की है, जब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने अपनी पार्टी का एनडीए से गठबंधन तोड़ दिया और वाजपेयी सरकार को विश्वास मत साबित करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

16 अप्रैल 1999 वह तारीख है, जब ओमप्रकाश चौटाला ने घोषणा की कि वो राष्ट्रहित में वाजपेयी सरकार को दोबारा समर्थन देंगे। हालांकि, कुछ लोगों का ध्यान उस चिट पर था जो लोकसभा के तत्कालीन सेक्रेट्री जनरल एस गोपालन की तरफ बढ़ाई गई। इसमें लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी की ओर से दी गई रूलिंग थी जिसमें कांग्रेस सांसद गिरधर गमांग को अपने विवेक के आधार पर वोट देने की इजाजत दे दी गई थी। दरअसल, गमांग ने ओडिशा का मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी लोकसभा की सदस्यता से तब तक इस्तीफा नहीं दिया था।

NDA से अलग हो गई जयललिता की पार्टी
1998 के लोकसभा चुनाव में कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी। हालांकि, एनडीए ने AIADMK के समर्थन से केंद्र में सरकार बनाई। यह गठबंधन सरकार करीब 13 महीने किसी तरह चली। इसी बीच दिवंगत नेता जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे केंद्र सरकार अल्पमत में आ खड़ी हुई। राष्ट्रपति की ओर से वाजपेयी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहा गया। इसके बाद सरकार की ओर से विश्वास प्रस्ताव रखते ही संसद के गलियारों में गहमागहमी शुरू हो गई।

गिरधर गमांग के एक वोट ने पलट दिया पासा
17 अप्रैल 1999 को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई। इस दौरान वाजपेयी सरकार एक ही वोट से हार गई और उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी। वाजपेयी सरकार महज एक वोट से गिर जाएगी, ऐसी उम्मीद शायद ही किसी ने की होगी। बताया है कि गिरधर गमांग ने सरकार के खिलाफ वोट दिया था। गमांग ने कांग्रेस सदस्य होने के नाते सरकार के खिलाफ मतदान किया। हालांकि, मुख्यमंत्री रहते हुए भी बतौर सांसद वोट देने को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई। जानना दिलचस्प है कि वाजपेयी सरकार गिराने वाले गिरधर गमांग ने बाद में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

मायावती पर भी टिकी थीं नजरें
वाजपेयी सरकार को लेकर अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग के दौरान बसपा सुप्रीम मायावती पर भी लोगों की नजरें टिकी रहीं। शुरू में ऐसी चर्चा थी कि वह वोटिंग में हिस्सा नहीं लेंगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। सरकार की ओर से भाजपा सांसद रंगराजन कुमारमंगलम ने मायावती से मुलाकात की। उन्होंने बसपा सुप्रीमो को आश्वासन दिया कि अगर उन्होंने पहले से तय स्क्रिप्ट पर काम किया तो वह शाम तक यूपी की सीएम बन जाएंगी। वोटिंग के दौरान मायावती ने अपने सांसदों की तरफ देखा और जोर से चिल्लाईं ‘लाल बटन दबाओ।’ इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक स्कोरबोर्ड को देखकर लोग हैरान रह गए। वाजपेयी सरकार के पक्ष में 269 और विपक्ष में 270 वोट पड़े थे। मायावती ने वाजपेयी सरकार के खिलाफ वोट किया था।

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