उत्तर प्रदेशराज्यवाराणसी

नैनो यूरिया और सागरिका बना उत्पादन व आय वृद्धि वाला विकल्प

PMKSK की पहल से किसानों के लिए जीवन में आ रहा बदलाव

सुरेश गांधी

वाराणसी : खेती की लागत घटाने और जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में नैनो यूरिया व सागरिका काफी कारगर साबित हो रहा है। इफ्को की यह पहल परंपरागत दानेदार यूरिया की जगह पर किसानों को नैनो तरल यूरिया और जैव उर्वरक सागरिका न सिर्फ उत्पादन बल्कि आय वृद्धि वाला विकल्प बन गया है. नैनो तरल यूरिया दानेदार यूरिया की अपेक्षा सस्ती तो है ही पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है. खास यह है कि यह एक पूर्णतया स्वदेशी उत्पाद है। जबकि दानेदार यूरिया को दूसरे देशों से भी आयात करना पड़ता है. दावा है कि नैनो तरल यूरिया के साथ जैव उर्वरक सागरिका के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी होती है. यह हम नहीं बल्कि वाराणसी, चंदौली व मिर्जापुर के किसानों का कहना है। पत्र सूचना कार्यालय, वाराणसी की ओर से आयोजित प्रेस टूर के तहत रामनगर स्थित प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र पर पहुंचे किसानों का दावा है कि पारंपरिक दानेदार उवर्रकों के मुकाबले नैनो यूरिया और सागरिका सहित अन्य जैव उर्वरक, कीटनाशक, खर पतवार नाशक और उच्च किस्म के बीज उत्पादन व आय वृद्धि वाले विकल्प बन गए है।

पीएमकेएसके, रामनगर पर मौजूद इफ्को, वाराणसी के फील्ड ऑफिसर डा. विवेक दीक्षित ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) के माध्यम से किसानों को उचित मूल्य पर यूरिया, डीएपी, एनपीके, मिट्टी की जांच, कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के अलावा नैनो यूरिया, डीएपी, सागरिका, जैव उर्वरक, कीटनाशक, खर पतवार नाशक और उच्च किस्म के बीज के साथ तकनीकी वार्ता की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यह केंद्र किसानों को उचित मूल्य व सुविधाजनक तरीके से कृषि सामग्री उपलब्ध करा रहा है जिससे उनकी आय में भी वृद्धि हो रही है।

प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) वन-स्टॉप-शॉप केंद्र के रूप में कार्य कर रहा हैं। इसके माध्यम से किसानों को एक ही छत के नीचे मिट्टी, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि मशीनरी सहित कई कृषि-इनपुट सुविधाएं मिल रही हैं। इस केंद्र से वाराणसी, मिर्जापुर और चंदौली के हजारों किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इससे उनके कृषि कार्य की लागत क्षमता में कमी आई है, साथ ही उनके आय में वृद्धि हो रही है। उनका कहना है कि इफ्को ने नवीनतम उत्पाद बाजार में उतारे हैं, जिनकी कीमत पारंपरिक उत्पादों से बेहद कम है। किसान-बागवान अब कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। नवीनतम उत्पादों में नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और सागरिका पानी में घुलनशील हैं। नैनो यूरिया तरल की 500 मिली की एक बोतल ही काफी है। यह पर्यावरण और गुणवत्ता के हिसाब से बेहतर है।

एक बैग यूरिया के समकक्ष 500 एमएल तरल यूरिया
दानेदार यूरिया से पौधे को महज 35 प्रतिशत पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, जबकि नैनो तरल यूरिया से पौधे को 85 फीसदी पोषक तत्व मिलेंगे. यूरिया के एक बैग में 45 किग्रा वजन होता है, वहीं नैनो तरल यूरिया की 500 एमएल की बोतल की क्षमता एक बैग के बराबर होती है. सब्जी उत्पादक और बागवानी से जुड़े किसान नैनो तरल यूरिया और सागरिका का इस्तेमाल कर अपने उत्पाद की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी कर सकते हैं.

सभी कृषि में इस्तेमाल होने वाले है ये उर्वरक
यह फसलों को ज़रूरी नाइट्रोजन प्रदान करता है. यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है और हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार करता है. सागरिका एक तरल समुद्री शैवाल अर्क है. यह फसल की वृद्धि और विकास को उत्तेजित करता है. यह फसल की पैदावार बढ़ाता है, पौधों की बेहतर शक्ति, जड़ और अंकुर की वृद्धि, अधिक फूल और फल लगने आदि में व्यक्त फसलों को संपूर्ण पोषण लाभ देती है. उन्होंने कहा कि इस केंद्र के माध्यम से इफ्को बड़ी मात्रा में उर्वरक, नैनो यूरिया, विशेष पोषक उर्वरकों का उपयोग और पोषक तत्व आधारित शुद्ध जैविक उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करके किसानों को हर तरह से सेवा करने के लिए लगातार काम कर रहा है। भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान समृद्धि योजना किसानों की आय बढ़ाने में बहुत सहायक है। नैनो यूरिया कम लागत में अधिक उत्पादन करने का माध्यम है।

प्रशांत कक्कड़ की किसानों से अपील
पत्र सूचना कार्यालय, वाराणसी के मीडिया एवं संचार अधिकारी प्रशांत कक्कड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा कृषि क्षेत्र के लिए ’समग्र दृष्टिकोण’ के साथ काम किया है। सरकार द्वारा किसानों को मजबूत बनाने के लिए कई पहल की गई हैं। प्रधानमंत्री ने जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा दिया है जिसका जीवंत रूप पीएमकेएसके के माध्यम से देखने को मिल रहा है। यह केंद्र किसानों को उर्वरक तो उपलब्ध करा ही रहा है, साथ ही देश के किसानों के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने के लिए एक तंत्र भी विकसित कर रहा है। उन्होंने पीएमकेएसके के सहारे किसानों से गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों के उपयोग के साथ-साथ मिट्टी परीक्षण और कृषि विस्तार जैसी सेवाओं का लाभ उठाने की अपील की। बता दें, प्रधानमंत्री ने अक्टूबर 2022 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) का उद्घाटन किया था। इस योजना के तहत देश में खुदरा खाद की दुकानों को चरणबद्ध तरीके से पीएमकेएसके में बदला जाएगा। पीएमकेएसके किसानों की विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करेंगे और कृषि सामग्री (उर्वरक, बीज, उपकरण), मिट्टी, बीज और उर्वरकों के लिए परीक्षण सुविधाएं प्रदान करेंगे; किसानों के बीच जागरूकता पैदा करेंगे; विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे और ब्लॉक/जिला स्तर के आउटलेट पर खुदरा विक्रेताओं का नियमित क्षमता निर्माण सुनिश्चित करेंगे। 3.3 लाख से ज्यादा खुदरा उर्वरक दुकानों को पीएमकेएसके में बदलने की योजना है।

कम होगी रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता
इफ्को के जैव उर्वरक सागरिका और नैनो तरल यूरिया कृषि क्षेत्र के लिए एक वरदान है. नैनो तरल यूरिया और सागरिका की चार-चार एमएल बूंद प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिडकाव करना चाहिए. रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से उत्पाद की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, जिसका स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है. जबकि नैनो तरल यूरिया और सागरिका के इस्तेमाल से उत्पाद की गुणवत्ता में भी सुधार होता है. यह मिट्टी और इंसान के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है.

सजगता
पर्यावरण और गुणवत्ता के लिहाज से यह अच्छी है. यूरिया का अधिक प्रयोग करने से फसल की गुणवत्ता में कमी आती है. यह मृदा स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचता है. जबकि नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है. जैव उर्वरक सागरिका और नैनो यूरिया का प्रयोग करते हुए रासायनिक खादों की 50 प्रतिशत मात्रा कम की जा सकती है.

कृषि क्षेत्र में बड़ी क्रांति
नैनो यूरिया डीएपी और सागरिका खाद का उपयोग कर किसान-बागवान कम खर्च में उच्च गुणवत्ता पूर्ण फसलों की पैदावार कर सकते हैं। मतलब साफ है नैनो यूरयि और डीएपी कृषि क्षेत्र में किसी बड़ी क्रांति से कम नहीं हैं. इसके प्रयोग से लाखों किसानों की खेती की लागत तो कम होगी ही, इसका भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन काफी आसान हो जाएगा. कोई भी किसान क्यों उठाएगा 50 किलो का बैग. वो तो अब नैनो यूरिया और डीएपी को अपने कुर्ते की पॉकेट में रखकर बाजार से घर और घर से खेत में जाएगा. खास यह है कि जिसका सामान्य यूरिया या डीएपी बच जाता था उसे हवा से बहुत बचाव करके रखना होता था. जबकि बोतल बंद नैनों यूरिया आदि ढक्कन बंद है तो खाद सुरक्षति है.

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