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भारत में वायु प्रदूषण से प्रति वर्ष 22 लाख लोग गंवा रहे जान, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

नई दिल्ली: भारत में सभी स्रोतों से होने वाले बाहरी वायु प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष 21 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। ‘द बीएमजे’ (द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार बाहरी वायु प्रदूषण भारत में प्रति वर्ष 21 लाख 80 हजार लोगों की जिंदगी छीन लेता है। इस मामले में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है।

शोध के अनुसार उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण दुनियाभर में प्रतिवर्ष 51 लाख लोगों की मौत होती है। इन मौतों को स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करके रोका जा सकता है। जर्मनी के ‘मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फार केमिस्ट्री’ के शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का आकलन चार परिदृश्यों में किया।

पहले परिदृश्य में माना गया कि जीवाश्म ईंधन के सभी उत्सर्जन स्रोत चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो गए हैं। दूसरे और तीसरे परिदृश्य में यह माना गया है कि जीवाश्म चरण समाप्त होने की दिशा में 25 प्रतिशत और 50 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है। चौथा परिदृश्य में माना गया कि रेगिस्तानी धूल और प्राकृतिक जंगल की आग जैसे प्राकृतिक स्रोतों को छोड़कर वायु प्रदूषण के सभी मानवजनित स्रोतों को हटा दिया गया है।

परिणामों से पता चलता है कि 2019 में दुनियाभर में 83 लाख मौतें वायु में सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) और ओजोन (ओ3) के कारण हुईं, जिनमें से 61 प्रतिशत (51 लाख) जीवाश्म ईंधन से जुड़ी थीं। यह वायु प्रदूषण से होने वाली अधिकतम मौतों का 82 प्रतिशत है, जिसे सभी मानवजनित उत्सर्जन को नियंत्रित करके रोका जा सकता है।

वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतें दक्षिण और पूर्वी एशिया में सबसे अधिक थीं। प्रतिवर्ष चीन में 24.40 लाख और भारत में 21.80 लाख लोगों की वायु प्रदूषण से मौतें हुईं। इसमें से 30 प्रतिशत हृदय रोग, 16 प्रतिशत स्ट्रोक, 16 प्रतिशत फेफड़े की बीमारी और छह प्रतिशत मधुमेह से संबंधित थीं। शोधकर्ताओं ने कहा कि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में होने वाली मौतों में बड़ी कमी आएगी, जो कि प्रतिवर्ष लगभग 38.50 लाख है।

कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन, उजाला सिग्नस ग्रुप आफ हास्पिटल्स के डा. शुचिन बजाज ने कहा, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), नाइट्रोजन डाइआक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसे प्रदूषक लोगों के लिए गंभीर श्वसन और हृदय संबंधी जोखिम पैदा करते हैं। इन प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मृत्यु दर में वृद्धि होती है।

एसोसिएशन आफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स’ (एएचपीआइ) के संस्थापक निदेशक डॉ. गिरधर ज्ञानी ने कहा कि हवा में मौजूद जहरीले प्रदूषक समय से पहले होने वाली मौतों के साथ-साथ गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं।

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