उत्तराखंड

मसूरी में बनती है दुनिया की दुर्लभ ‘विंटरलाइन’, जानें कारण ?

देहरादून (गौरव ममगाईं)। मसूरी में 26 दिसंबर से 28 तारीख तक विंटरलाइन कार्निवल का आगाज होने जा रहा है। मसूरी में बनने वाली विंटरलाइन को देखने के लिए हजारों-लाखों की संख्या में सैलानी जुटते नजर आते हैं। इनमें विदेशी सैलानियों की तादाद भी काफी ज्यादा होती है। इस प्राकृतिक घटना को बेहद दुर्लभ माना जाता है, क्योंकि यह घटना दुनिया में सिर्फ 3 ही देशों में देखने को मिलती है। इनमें स्विट्जरलैंड, दक्षिण अफ्रीका व भारत हैं। भारत में यह विंटरलाइन उत्तराखंड के मसूरी में ही देखने को मिलती है। क्या आप जानते हैं आखिर विंटरलाइन होती क्या  है ? और यह कैसे बनती है ? चलिये हम आपको बताते हैं..

 दरअसल, विंटरलाइन रंग-बिरंगी बड़ी लाइनें होती हैं जो क्षैतिज रेखा (एक छोर से दूसरे छोर की ओर) के रूप में नजर आती हैं। यह घटना शीतकाल में शाम के समय घटित होती है औऱ इसका दृश्य पहाड़ी इलाके से देखा जा सकता है। मसूरी भी हिल स्टेशन है, जहां से विंटरलाइन को देख सकते हैं।  

winterline

वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घटना प्रकाश के अपवर्तन के कारण घटित होती है। जब धूल के कण अधिक संख्या में ऊपर उठते हैं और एक लाइन का रूप ले लेते हैं। इस समय धूल के कणों पर सूरज की किरणें पड़ती है, जिससे सूरज की किरणें धूल कणों से टकराने के बाद फैल जाती हैं औऱ कई रंगों के रूप में नजर आती है। इन रंगों में नारंगी, बैंगनी, गुलाबी, नीला व कई अन्य रंग हैं। यह दृश्य बेहद सुंदर दिखाई देता है। इस दृश्य को फोटोग्राफी के लिए बहुत ही उपयुक्त माना जाता है। इस दुर्लभ नजारे को हर कोई कैमरे में कैद कर लेना चाहते हैं।

विंटरलाइन की घटना भी ठीक उसी प्रकार की घटना है, जैसे हमें आकाश नीला दिखाई देता है। बता दें कि आकाश का वास्तविक रंग काला है, लेकिन प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण हमें आकाश नीला दिखाई देता है। जब सूर्य की किरणें धरती की ओर आती हैं, तो हमारे वायुमंडल में मौजूद धूल के कणों की परत से टकराने के बाद प्रकाश के ‘प्रकीर्णन’ की क्रिया होती है।

सूर्य के किरणें सात रंगों (मात्रा के अनुसार क्रमशः बैंगनी, इंडिगो, नीला, हरा, पीला, नारंगी व लाल ) से मिलकर बनती हैं। इनमें सबसे अधिक तरंगदैर्ध्य लाल रंग और सबसे तरंगदैर्ध्य कम नीले रंग का होता है। वायुमंडल के कणों से टकराने के कारण नीला रंग फ़ैल जाता है। इसलिए हमें आकाश नीला दिखाई देता है।

  1827 में ब्रिटिश फौजी अफसर कैप्टन यंग द्वारा मसूरी की खोज की गई थी, तबसे ही मसूरी अंग्रेजों की पहली पसंद रहा है। मसूरी देश का सबसे पुराना व सुंदर हिल स्टेशन है। वैसे तो मसूरी शुरू से ही अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए दुनिया में आकर्षण का केंद्र बना रहा है, अब विंटरलाइन जैसी दुर्लभ प्राकृतिक घटना का यहां होना भी मसूरी की विशेषता को और बढ़ा देता है।

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