स्वदेशी 6जी इकोसिस्टम के विकास के लिए अनुसंधान बढ़ा रहा है भारत
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नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : एक समय था जब भारत में 2G, 3G की बात होती थी , फिर देश की तकनीकी उन्नति ने उसे 4G, 5G तक पहुंचाया लेकिन अब देश दूरसंचार के क्षेत्र में एक अलग ही लेवल पर अनुसंधान को बढ़ावा देते हुए 6G और उससे आगे की प्रौद्योगिकी पर लगकर काम कर रही है। इसी कड़ी में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (Department of telecommunication) के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र सी-डॉट और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की (IIT -R) ने 6जी और उससे आगे” के लिए 140 गीगाहर्ट्ज पूरी तरह से एकीकृत ट्रांसमीटर और रिसीवर मॉड्यूल विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
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इससे पता चलता है कि यह प्रौद्योगिकी देश में स्वदेशी 6जी इकोसिस्टम के विकास के अनुरूप होगी। इस समझौते का उद्देश्य 6जी और उससे आगे के अनुप्रयोगों को सक्षम करने के लिए 140 गीगाहर्ट्ज पूरी तरह से एकीकृत ट्रांसमीटर और रिसीवर मॉड्यूल विकसित करना है। भारत सरकार के 6G मिशन को इससे नई गति मिलेगी।
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क्या होगा इस नई प्रणाली का लाभ :
इस प्रणाली की नवीनता एक चिप पर टेराहर्ट्ज तरंगों के उत्पादन, ट्रांसमिशन और एंटीना एकीकरण में निहित है; जिससे सिस्टम के आकार में कमी आती है, वजन और बिजली की खपत कम होती है, इसलिए इसे स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि जैसे पोर्टेबल उपकरणों में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाया गया है। यह चिप प्रति सेकंड कई गीगाबाइट तक की डेटा दरों का समर्थन करेगी, जिससे चिप्स के साथ या बीच में उच्च गति डेटा ट्रांसफर सक्षम हो सकेगा। इस परियोजना के सफल समापन से अगली पीढ़ी के अल्ट्रा-फास्ट, कम-विलंबता वाले 6जी नेटवर्क के विकास में योगदान मिलेगा, जो विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन में योगदान देगा।