मुंबई में सड़क की खुदाई में मिली ट्राम की पटरी, लोगों को पुराने दिन याद आये
एजेंसी/ मुंबई: मुंबई में ट्राम 1964 में बंद हो चुकी है। लेकिन सड़क की खुदाई में उसकी पटरी मिलने से एक बार फिर से मुंबई के लोगों में ट्राम की याद ताजा हो गई है। लोग बड़ी संख्या में इतिहास बन चुकी ट्राम की निशानी देखने के लिये उमड़ रहे हैं। नई पीढ़ी के लिए पटरी आकर्षण का केंद्र बन गई है तो पुरानी पीढ़ी के लोगों के लिये पुरानी याद ताजा करने का मौका।
मुंबई में इतिहास बन चुकी ट्राम अचानक से चर्चा में आ गई है। हुआ ये कि चर्चगेट में हुतात्मा चौक के पास सड़क की खुदाई में ये पटरियां बिछी मिलीं। पहले तो मजदूरों को समझ नहीं आया लेकिन जल्द ही लोगों को ये समझते देर नहीं लगी कि ये पटरियां उस ट्राम की हैं जो 1964 तक मुंबई की शान हुआ करती थी। बचपन में कई बार ट्राम से सफ़र कर चुके बुजुर्ग भगवानदास पानेरिया लोगों को बड़े उत्साह से बताते दिखे कि तब म्यूजियम से बॉम्बे सेंट्रल तक का टिकट सिर्फ 2 पैसा था। वो दौड़ते – दौड़ते ट्राम में चढ़ जाया करते थे।वहीं अब तक सिर्फ किताबों और फिल्मों में ट्राम देखने वाले शाहरुख़ शेख और विजय सिंह इसे सेल्फ़ी लेने का सुनहरा मौका बताते हैं। ट्राम ना सही उसकी निशानी देख ही नई पीढ़ी के नौजवान खुश होते दिखे।
1874 में अंग्रेज ट्राम को हिन्दुस्तान लाए, उस वक्त इसे घोड़े खींचते थे। 1907 में घोड़ों की जगह ट्राम को बिजली ने रफ्तार दी। लेकिन 1926 में पहियों पर दौड़ने वाली बसों के आगे ट्राम हांफने लगी, 1964 में उसने बंबई में दम तोड़ दिया। मुंबई में पहले कोलाबा से परेल तक आने-जाने के लिए ट्राम का इस्तेमाल होता था।