कोर्ट में मारपीट के आरोपी वकील ने की 45 लाख की धोखाधड़ी
यह बात 2014 की है। इस मामले में उनकी अंतरिम जमानत की याचिका इसी साल के 29 जनवरी को दिल्ली की एक अदालत ने ठुकरा दी थी। इसके साथ ही मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी यशपाल को कोई फौरी राहत देने से इंकार कर दिया।
बता दें कि हाईकोर्ट में जज प्रतिभा रानी की बेंट जिस कोर्ट में कन्हैया के बेल की और उमर खालिद के अंतरिम बेंच की सुनवाई कर रही थी उसी ब्लॉक में यशपाल सिंह का मामला जज सुरेश कैत के सामने चल रहा था। यशपाल पर एक प्लॉट की खरीद-बिक्री में धोखाधड़ी का मामला चल रहा है।
शिकायतकर्ता सुधीर कुमार ने यशपाल पर ग्रेटर कैलाश थाने में धोखाधड़ी, चीटिंग और आपराधिक साजिश रचने की धाराओं के तहत केस दर्ज कराया है। अगर यशपाल सिंह दोषी पाए गए तो उन्हें उम्रकैद हो सकती है।
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने बुधवार के लिए जमानत याचिका की सुनवाई टाल दी है और आज इस पर बहस होगी क्यों यशपाल सिंह को राहत नहीं मिलनी चाहिए।
सुधीर कुमार ने अपनी शिकायत में ये कहा है कि वो यशपाल से एक कॉमन जानकार के द्वारा मिला था, जिसने बताया था कि यशपाल सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं और उनके पास ग्रेटर कैलाश में एक बहुत अच्छी जमीन है।
जब सुधीर यशपाल से बाद में तीस हजारी कोर्ट में मिले तो उन्होंने कहा कि वो एक विधवा का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसकी उम्र 78 साल है और जिसके एक भी बच्चे नहीं हैं।यशपाल सिंह ने सुधीर को बताया था कि राजकुमारी धावेजा प्लॉट की अकेली मालकिन है और चूंकि उसके जायदाद को कोई देखने वाला नहीं है इसलिए वो प्लॉट बेचकर यूएस में अपने भतीजे के पास बसना चाहती है। वकील यशपाल का दावा है कि महिला उसपर विश्वास करती है और उसे जमीन को बेचने का काम सौंपा है और प्रॉपर्टी की देखभाल केयरटेकर करता है।
यशपाल सिंह ने सुधीर को भरोसा भी दिलाया था कि एक बार ये प्लॉट बिक जाए तो केयरटेकर भी यहां से चला जाएगा। इसके साथ ही यशपाल ने सुधीर को धावेजा द्वारा साइन किया हुआ जनरल पॉवर ऑफ अथॉरिटी लेटर भी दिखाया।
एफआईआर के अनुसार जब सुधीर ने विधवा महिला से मिलने की इच्छा जताई तो यशपाल ने कहा कि वो कानपुर में रहती है और दिल्ली नहीं आ सकेगी। उसने कहा कि एक बार जब डील हो जाएगी और एडवांस राशि भुगतान कर दी जाएगी तो महिला दिल्ली आएगी।
इससे पहले यशपाल ने सुधीर की महिला से फोन पर बात करा दी जिसमें महिला ने कहा कि वो 24 साल से जमीन की मालकिन है और प्लॉट हर तरह से खरीदने के लिए मुफीद है।
सुधीर को इस डील पर तब शक हुआ जब 15 दिन के बाद वो प्लॉट पर गया और वहां कोई प्रकाश गौतम नाम का शख्स बैठा था। गौतम ने उस प्लॉट का केयरटेकर होने से इंकार करते हुए बताया कि वो जमीन का मालिक है।
इस बात से स्तब्ध सुधीर ने चेक की पेमेंट रोक दी और यशपाल से इस बारे में पूछा तो इतने सब के बाद भी यशपाल ने यही कहा कि वृद्ध महिला ही प्लॉट की असली मालकिन है। बाद में उसने महिल को सुधीर से मिलवाया और उसका पैन कार्ड दिखाते हुए ये विश्वास दिलाया कि वही राजकुमारी धावेजा है।
सुधीर को अब भी यशपाल की बात पर भरोसा नहीं हुआ और उसने तहकीकात की तो पता चला कि असली धावेजा तो चंडीगढ में 2001 में ही मर गई थी जिसके चार बच्चे हैं। कुमार का दावा है कि प्रॉपर्टी के पेपर भी जाली थे और हस्ताक्षर भी नकली थे।जब सुधीर ने यशपाल से दोबारा इस मसले पर बात की तो यशपाल उसे गच्चा देता रहा लेकिन बाद में उसने सुधीर को धमकाना शुरू कर दिया।
अपनी वर्तमान जमानत याचिका में यशपाल ने कहा है कि वो पहले ही सुधीर को 55 लाख रुपए भुगतान कर चुका है लेकिन वित्तिय परेशानियों की वजह से वो कोर्ट द्वारा तय की गई तारीख तक बाकी रकम नहीं चुका सका इसलिए कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
यशपाल ने कोर्ट को रिकवरी एजेंट की तरह बर्ताव न करने की प्रार्थना की है और साथ ही कोर्ट के बाहर सेटलमेंट करने की मांग की है।