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उज्बेकिस्तान में कफ सिरप से 68 बच्चों की मौत के मामले में भारतीय नागरिक को 20 साल की जेल

नई दिल्ली: दिसंबर 2022 में उत्तर प्रदेश की दवा कंपनी में बने एक कफ सिरप पीने से 68 बच्चों की मौत के मामले में उज्बेकिस्तान की एक अदालत ने एक भारतीय नागरिक को 20 साल जेल की सजा सुनाई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने भारतीय नागरिक सहित 23 लोगों को 2 से 20 साल की अवधि के लिए जेल में डाल दिया है। इस मामले में भारतीय नागरिक को 7 महीने की लंबी अदालती कार्यवाही के बाद सजा सुनाई गई है। भारत के मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित दवाओं का वितरण करने वाली कंपनी क्यूरमैक्स मेडिकल के कार्यकारी निदेशक राघवेंद्र सिंह को 20 साल की सबसे लंबी जेल की सजा मिली है। रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिवादियों को कर चोरी, घटिया या नकली दवाओं की बिक्री, पद का दुरुपयोग, लापरवाही, जालसाजी और रिश्वतखोरी का दोषी पाया गया है।

पीड़ित परिवारों को मिलेगा मुआवजा
इसके अलावा अदालत ने यह भी कहा कि दूषित सिरप के सेवन से मरने वाले 68 बच्चों में से प्रत्येक के परिवार को 80,000 अमरीकी डॉलर (1 बिलियन उज़्बेक राशि) का मुआवजा दिया जाना चाहिए। अदालत ने विकलांगता से पीड़ित चार अन्य बच्चों को भी मुआवजा दिए जाने का फरमान जारी किया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सातों दोषियों से मुआवजा वसूला जाएगा। गौरतलब है कि मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित कफ सिरप डॉक-1, दिसंबर 2022 में उज्बेकिस्तान में 68 बच्चों की मौत से जुड़ा था। इस घटना ने भारत में केंद्रीय और राज्य दवा अधिकारियों को मामले की जांच शुरू करने के लिए मजबूर किया था।

सिरप के 22 नमूने थे मिलावटी और नकली
इसके बाद, मार्च 2023 में उत्तर प्रदेश अधिकारियों द्वारा नोएडा स्थित कंपनी का विनिर्माण लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। मैरियन बायोटेक के तीन कर्मचारियों को भी यू.पी. पुलिस ने गिरफ्तार किया था और इसके दो निदेशकों के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया था। जांच से पता चला था कि मैरियन बायोटेक के कफ सिरप के नमूने मिलावटी और मानक गुणवत्ता के नहीं थे। यूपी पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, नमूने चंडीगढ़ में सरकार की क्षेत्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजे गए थे और उनमें से 22 नमूने मिलावटी और नकली पाए गए थे।

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