नई दिल्ली: इस बार लोकसभा चुनावों में डीपफेक वीडियो राजनेताओं के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जुड़े एक डीपफेक वीडियो की जांच के संबंध में दिल्ली पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है। इस वीडियो में कथित तौर पर शाह को यह कहते हुए दिखाया गया है कि भाजपा आरक्षण विरोधी है। यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में विचाराधीन भी है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को कोई भी निर्देश देने से इन्कार कर दिया है। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट चुनावों के दौरान ऐसे निर्देश नहीं दे सकता। उसे भरोसा है कि इस पर चुनाव आयोग उचित कार्रवाई करेगा।
क्या होती है डीपफेक तकनीक
डीपफेक तकनीक का मतलब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (ए.आई.) के जरिए डिजिटल मीडिया में हेरफेर करना है। ए. आई. के इस्तेमाल से शरारती तत्व वीडियो, ऑडियो, और फोटो में हेरफेर यानी मनिप्युलेशन और एडिटिंग को अंजाम देते हैं। इसके जरिए वीडियो में चेहरा बदल दिया जाता है। एक तरह से देखा जाए तो ये बेहद वास्तविक लगना वाला डिजिटल फर्जीवाड़ा है, इसलिए इसे डीपफेक नाम दिया गया है।
बड़ी हस्तियों को बदनाम करने की साजिश
डीपफेक तकनीक व्यक्तियों और संस्थाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाए जाते हैं। खासकर मशहूर हस्तियों, राजनेताओं और संस्थानों को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं। इसके अलावा डीपफेक का इस्तेमाल झूठे सबूत गढ़ने, जनता को धोखा देने और लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों का विश्वास कम करने के लिए किया जा सकता है। गौरतलब है कि बड़े तौर पर नुकसान करने वाला ये काम बेहद कम संसाधनों के साथ अंजाम दिया जा सकता है।
अश्लील वीडियो बनाने में इस्तेमाल
डीपफेक के गलत तरीके से इस्तेमाल का पहला मामला पोर्नोग्राफी में सामने आया था। एक ऑनलाइन आई.डी. प्रमाणित करने वाली सेनसिटी डॉट ए.आई. वैबसाइट के मुताबिक 96 फीसदी डीपफेक अश्लील वीडियो हैं। इनको अकेले अश्लील वैबसाइटों पर 135 मिलियन से अधिक बार देखा गया है। डीपफेक पोर्नोग्राफी खास तौर से औरतों और लड़कियों, को निशाना बनाती है। अश्लील डीपफेक धमकी दे सकते हैं।