अद्धयात्म
स्त्री हो या पुरुष, इस तिथि में नहीं लगाना चाहिए तेल
5 मार्च 2016 को शनिवार हैं। शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: उत्तर, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु.मास: जमादि-उल-अव्वल-25, ऋतु: बसन्त, मास: फाल्गुन, पक्ष: कृष्ण है।
शुभ तिथि
एकादशी नन्दा संज्ञक तिथि सायं 5.12 तक, तदुपरान्त द्वादशी भद्रा संज्ञक तिथि रहेगी। एकादशी तिथि में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य, यज्ञोपवीत, विवाह, देवोत्सव, देवकार्य, गृहारम्भ, प्रवेश, यात्रा, चित्रकारी व व्रतोपवास आदि कार्य शुभ कहे गए हैं।
इसी प्रकार द्वादशी तिथि में विवाह व जनेऊ आदि मांगलिक कार्य तथा अन्य चर व स्थिर कार्य करने चाहिए। तेल लगाना व यात्रा द्वादशी में वर्जित हैं। एकादशी तिथि में जन्मा जातक धर्मपरायण, न्यायप्रिय, शुद्ध विचार, विनयशील, धन, ऐश्वर्य व संतान युक्त तथा राज समाज में मान-सम्मान पाने वाला होता है।
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नक्षत्र
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र अन्तरात्रि 4.58 तक, तदुपरान्त श्रवण नक्षत्र रहेगा। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में देवस्थापन, विभूषित करना, गृहारम्भ, यात्रा, प्रवेश, मांगलिक विवाह, व्यापार, व्यवसायारम्भ, बीजारोपण व वस्त्रालंकार सम्बन्धी समस्त कार्य करने योग्य हैं।
इसी प्रकार श्रवण नक्षत्र में घर, पुष्टता, कारीगरी, जनेऊ, मांगलिक कार्य, वाहनादि बसाना, शान्ति व विद्यारम्भ आदि कार्य शुभ होते हैं। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मा जातक होशियार, चतुर, विनम्र, शान्त, परोपकारी, धार्मिक, सुखी, विनीत, सर्वप्रिय, विद्वान और बुद्धिमान होता है। इनका भाग्योदय लगभग 31वें वर्ष में होता है।
योग
वरियान नामक नैसर्गिक शुभ योग रात्रि 2.09 तक, तदुपरान्त परिघ नामक नैसर्गिक अशुभ योग रहेगा। परिघ योग की पूर्वाद्र्ध घटियां शुभ कार्यों में त्याज्य हैं।
विशिष्ट योग
त्रिपुष्कर नामक शुभाशुभ योग सायं 5.12 से अन्तरात्रि 4.28 तक, इसके बाद सूर्योदय तक सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग रहेगा।
करण
बालव नामकरण सायं 5.12 तक, इसके बाद कौलवादि करण रहेंगे।
चंद्रमा
पूर्वाह्न 11.28 तक धनु राशि में, इसके बाद मकर राशि में रहेगा।
परिवर्तन
बुध रात्रि 2.44 पर शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करेगा।
व्रतोत्सव
शनिवार को विजया एकादशी व्रत सबका है।
शुभ मुहूर्त
उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, नक्षत्र, वार व योगानुसार शनिवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में विवाह, गृहारम्भ, गृहप्रवेश, वधू प्रवेश व विपणि-व्यापारारम्भ के यथा आवश्यक शुभ मुहूर्त हैं।
वारकृत्य कार्य
शनिवार को लोहा, पत्थर, सीसा, रांगा, अस्त्र-शस्त्र संबंधी कार्य, नौकरी व नौकर रखना, मिथ्यालाप, गृह प्रवेश, पशु क्रय करना, मंत्रग्रहण आदि स्थिर कर्म करने योग्य हैं।
दिशाशूल
शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ उड़द के दाने खाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। चन्द्र स्थिति के अनुसार कल पूर्व व दक्षिण दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।