सड़कों पर सेना, देश में कर्फ्यू… सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम पर पड़ोसी देश में हिंसक प्रदर्शन जारी, स्थिति गंभीर
नई दिल्ली: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने देश को गहरे संकट में डाल दिया है। छात्रों और सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित इन प्रदर्शनों में अब तक बहुत से लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग जख्मी हो गए हैं। विवाद का कारण है बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के तहत दिए जाने वाले कोटा सिस्टम। इस सिस्टम के तहत 56% आरक्षण दिया जाता है, जिसमें से 30% आरक्षण स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के वंशजों के लिए है। छात्रों और उनके समर्थकों का कहना है कि यह सिस्टम अन्य कुछ समूहों के लिए अन्यायपूर्ण है और यह मेधावी उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में प्रवेश में बाधा डालता है।
शुक्रवार को, शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू घोषित किया और सेना को तैनात करने का फैसला किया। इसके बावजूद, छात्रों और प्रदर्शनकारियों ने लाठी, डंडे और पत्थरों का इस्तेमाल कर आगजनी की और सड़कों पर बसों और निजी वाहनों को आग के हवाले किया। अब तक 2500 से ज्यादा प्रदर्शनकारी पुलिस और सुरक्षा बलों के हाथ झड़प में जख्मी हुए हैं। इसके अलावा पूरे देश में मोबाइल इंटरनेट सर्विस को भी बंद कर दिया गया है।
भारतीय उच्चायुक्तालय ने बांग्लादेश में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए जारी की गई सुचनाओं के बावजूद भारत ने इसे अपना आंतरिक मामला घोषित किया है। भारतीय उच्चायुक्तालय ने भारतीय छात्रों को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ समन्वय किया है और सीमा पर उनकी सुरक्षा बढ़ाने का भी आदेश दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि पड़ोसी देश में रह रहे 15000 भारतीय सुरक्षित हैं, जिनमें 8500 के करीब छात्र हैं। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है। ढाका में भारतीय उच्चायोग देश लौटने के इच्छुक भारतीय छात्रों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहा है। शुक्रवार रात 8 बजे तक 125 छात्रों सहित 245 भारतीय बांग्लादेश से लौट आए हैं।
इसके साथ ही भारतीय उच्चायोग ने 13 नेपाली छात्रों की भी वापसी में मदद की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। हम इसे देश का आंतरिक मामला मानते हैं। भारतीयों की सुरक्षा के संदर्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर खुद इस मामले पर करीब से नजर रख रहे हैं।’ पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित बेनापोल-पेट्रापोल; गेडे-दर्शाना और त्रिपुरा में अखौरा-अगरतला क्रॉसिंग छात्रों और भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए खुले रहेंगे। भारतीय उच्चायोग बीएसएफ और इमिग्रेशन ब्यूरो के समन्वय से बांग्लादेश से भारतीय छात्रों की वापसी की सुविधा प्रदान कर रहा है।
इस विवाद के बीच, बांग्लादेश में स्थानीय ट्रांसपोर्ट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और स्कूल और कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं। सरकार ने अब तक विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई की है, लेकिन छात्रों की मांगों के समर्थन में विस्थापित लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इस प्रदर्शन के चलते बांग्लादेश में स्थिति काफी बिगड़ गई है। इसके कारण अधिकारियों को बस और ट्रेन सेवाओं के साथ -साथ पूरे देश में स्कूल और विश्वविद्यालय बंद करने पड़े है। बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में यह विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से, शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार की जॉब कोटा सिस्टम के खिलाफ है। यह सिस्टम कुछ समूहों के लिए सरकारी नौकरियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आरक्षित करता है। प्रदर्शनकारी छात्रों का तर्क है कि यह कोटा सिस्टम भेदभावपूर्ण है और मेधावी उम्मीदवारों को सरकारी पद हासिल करने से रोकता है।
सरकार के फैसले को अदालत ने पलटा
विवादित कोटा सिस्टम को लेकर हाल ही में उच्च न्यायालय ने एक फैसला दिया था, जिसमें इस सिस्टम को पुनः लागू कर दिया गया था, जिससे विरोध प्रदर्शन और उग्रता में और भी तेजी आई है। इस मुद्दे पर पहले भी हंगामा हो चुका है। साल 2018 में हसीना सरकार ने इसी तरह के उग्र विरोध के प्रदर्शनों के बाद मुक्ति संग्राम स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरियों में मिलने वाला 30 फीसदी कोटा सिस्टम निलंबित कर दिया था। सरकार के इस फैसले को स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने उच्च न्यायालय ने चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने पिछले महीने हसीना सरकार के 2018 के फैसले को पलट दिया और 1971 मुक्ति संग्राम में योगदान देने वालों के वंशजों का कोटा बहाल कर दिया था। अदालत के इस फैसले के विरोध में गत 1 जुलाई से बांग्लादेश में उग्र और हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बांग्लादेश के इस संकट में अब सरकारी और सामाजिक संगठनों को विवाद को सुलझाने के लिए जल्द से जल्द सार्थक बातचीत की आवश्यकता है, ताकि देश की स्थिति में सुधार किया जा सके।