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बांग्लादेश संकट के बीच हिंदू और मुस्लिमों ने की ढाकेश्वरी मंदिर की रक्षा

नई दिल्ली: बांग्लादेश संकट के बीच ढाका में स्थित प्राचीन ढाकेश्वरी मंदिर की हिंदू, मुस्लिम और अन्य स्थानीय समुदाय के लोगों ने रक्षा की। ढाका स्थित सदियों पुराने इस मंदिर के आसपास कई मस्जिदें हैं। अक्सर यहां मंदिर में बजने वाली घंटियां और पास की मस्जिद में होने वाली अजान को साथ सुना जा सकता है। प्रमुख शक्तिपीठों में से एक श्री श्री ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर में मीडिया हाउस की रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर में एक युवा विवाहित जोड़ा अपनी दो माह की बेटी के लिए आशीर्वाद लेने पहुंचा हुआ था, जबकि एक महिला मंदिर प्रांगण के एक कोने में गर्भगृह के सामने मोमबत्तियां जला प्रार्थना कर रही थी।

देवी मां सभी मानवों की माता
मुख्य पुजारियों में से एक अशिम मैत्रो (53) के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि कई धर्मों के लोग यहां प्रार्थना करने आते हैं और देवी मां सभी मानवों की माता हैं चाहे वे हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या बौद्ध हों। वे यहां कृपा, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति की लिए आते हैं। करीब 15 वर्षों से मंदिर में सेवा कर रहे मैत्रो मां ढाकेश्वरी को धार्मिक एवं सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक मानते हैं। पुजारी के परिवार के कई सदस्य पश्चिम बंगाल में भी रहते हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर में सायंकाल आरती सात बजे होती है जबकि पास की मस्जिदों में इससे 30 मिनट पहले मगरिब की नमाज होती है।

मुस्लिम, हिंदू और अन्य लोग देते रहे पहरा
मैत्रो ने कहा कि पांच अगस्त को जब सरकार विरोधी प्रदर्शन अपने चरम पर पहुंच गया था और शेख हसीना को भारत भागना पड़ा था, तब वह मंदिर परिसर में ही थे। पुजारी ने बताया कि मुझे अपने लिए डर नहीं लग रहा था, बल्कि मैं प्राचीन मंदिर और यहां स्थित देवी-देवताओं की मूर्तियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित था। मंदिर समिति के सदस्य भी यहां मौजूद थे और हमने मुख्य द्वार समेत अन्य द्वार बंद कर दिए थे। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री हसीना देश छोड़कर गईं तो यहां कोई आगंतुक नहीं था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उस समय यहां कोई पुलिसकर्मी भी नहीं था क्योंकि राजनीतिक अराजकता के बीच सब कुछ अव्यवस्थित था।
पुजारी ने कहा कि स्थानीय समुदायों के सदस्यों ने मदद की। मुस्लिम, हिंदू और अन्य लोग मंदिर के बाहर पहरा देने के लिए पहुंच गए और इसलिए मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। उन्होंने संतोष जाहिर करते हुए कहा कि उस दिन से लेकर आज तक यहां कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।

ढाकेश्वरी मंदिर की खासियत और हिंदू-मुस्लिम संबंध
ढाकेश्वरी मंदिर ढाका, बांग्लादेश में स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर कई सौ साल पुराना है और बांग्लादेश के सबसे पुराने हिंदू मंदिरों में से एक माना जाता है। यहाँ देवी ढाकेश्वरी की पूजा होती है, जो हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं। मंदिर की वास्तुकला भी बेहद आकर्षक है, जो पुराने समय की डिजाइन को दर्शाती है और धार्मिक महत्व को बढ़ाती है।

ढाकेश्वरी मंदिर की खासियत केवल इसकी प्राचीनता और धार्मिक महत्व में ही नहीं, बल्कि यहां के सांप्रदायिक सौहार्द में भी है। इस मंदिर के पास स्थित मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों के बीच धार्मिक गतिविधियाँ संतुलित तरीके से चलती हैं। यहां की घंटियों की आवाज और मस्जिदों में अजान की आवाज एक साथ सुनाई देती है, जो हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच के शांतिपूर्ण संबंधों को दर्शाती है।

हालिया संकटों के दौरान, जब बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल था, हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय मिलकर ढाकेश्वरी मंदिर की सुरक्षा के लिए एकजुट हुए। यह दिखाता है कि धार्मिक विविधता के बावजूद, लोग एक साथ मिलकर अपने सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा कर सकते हैं। इस प्रकार, ढाकेश्वरी मंदिर सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक है, जहां विभिन्न धर्मों के लोग मिलकर शांति और एकता का संदेश फैलाते हैं।

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