अद्धयात्म
शुक्रवार को शुभ होते हैं ये कार्य, जानिए आज के श्रेष्ठ मुहूर्त
एजेन्सी/18 मार्च 2016 को शुक्रवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: उत्तर, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु.मास: जमादि-उलसानि-8, ऋतु: बसन्त, मास: फाल्गुन, पक्ष: शुक्ल है।
शुभ तिथि
दशमी पूर्णा संज्ञक तिथि प्रात: 9.39 तक, तदुपरान्त एकादशी नन्दा संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। दशमी तिथि में विवाहादि समस्त मांगलिक कार्य, गृहारम्भ, अलंकार, यात्रा, प्रवेश, सवारी व राजकीय कार्यादि शुभ व सिद्ध होते हैं।
इसी प्रकार एकादशी में भी उपरोक्त दशमी तिथि में कथित कार्यों सहित देवोत्सव, देवकार्य, देवगृह, चित्रकारी और व्रतोपवास आदि कार्य शुभ कहे गए हैं। पर अभी होलाष्टक व मीन का मलमास चल रहा है।
इनमें यथासंभव शुभ कार्य वर्जित रखने चाहिए। दशमी तिथि में जन्मा जातक सामान्यत: धर्म-अधर्म का ज्ञाता, देशभक्त, यज्ञादि कार्यों में रुचि रखने वाला, तेजस्वी और सुखी होता है।
नक्षत्र
पुनर्वसु नक्षत्र प्रात: 8.33 तक, तदुपरान्त पुष्य नक्षत्र रहेगा। पुनर्वसु नक्षत्र में शान्ति, पुष्टता, गमन, अलंकार, घर, व्रतादि, सवारी, कृषि व विद्यादि कार्य करने योग्य हैं।
इसी प्रकार पुष्य नक्षत्र में सभी चर-स्थिर कार्य, शान्ति, पुष्टता तथा अन्य उत्सव सम्बन्धी समस्त कार्य, पर विवाह को छोड़कर करने चाहिए। पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मा जातक शान्त, सुखी, भोगी, सुन्दर, लोकप्रिय, अच्छे मित्र व पुत्रादियों से युक्त होता है।
योग
शोभन नामक नैसर्गिक शुभ योग प्रात: 7.37 तक, तदन्तर अतिगंड नामक नैसर्गिक अशुभ योग रहेगा। अतिगंड नामक योग की प्रारम्भ की छ: घटी शुभ कार्यों में त्याज्य हैं।
विशिष्ट योग
दोष समूह नाशक रवियोग नामक शुभ व शक्तिशाली योग सम्पूर्ण दिवारात्रि, कुमार नामक शुभ योग व सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग प्रात: 8.33 तक।
करण
गर नामकरण प्रात: 9.39 तक, तदन्तर रात्रि 9.55 तक वणिज नामकरण, इसके बाद भद्रा प्रारम्भ हो जाएगी। भद्रा में शुभ व मांगलिक कार्य यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
चंद्रमा
सम्पूर्ण दिवारात्रि कर्क राशि में रहेगा।
परिवर्तन
अन्तरात्रि 4.37 पर बुध मीन राशि में प्रवेश करेगा। मीन राशि बुध की नीच राशि है।
व्रतोत्सव
शुक्रवार को नन्दगांव होली तथा फागु दशमी (ओडिशा में) है।
शुभ मुहूर्त
उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार शुक्रवार को अन्नप्राशन पुनर्वसु नक्षत्र में तथा नामकरण, हलप्रवहण व विपणि-व्यापारारम्भ के यथाआवश्यक पुष्य नक्षत्र में शुभ मुहूर्त हैं।
वारकृत्य कार्य
शुक्रवार को सामान्य रूप से गुप्त वार्ता, छायाचित्र, फिल्मी कार्य, अभिनय, संगीत-नृत्यादि सीखना, शैय्या, मणि, रत्न, सुगन्ध, वस्त्र, उत्सव, आभूषण, भूमि-व्यापार, कृषि कार्य और भण्डार (संग्रह) करना आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
दिशाशूल
शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ जौ के दाने चबाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। चंद्र स्थिति के अनुसार उत्तर दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।