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प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर ED की छापेमारी : पूर्व मंत्री बोले-भाजपा सरकार को ED के जरिए राजनीति नहीं करनी चाहिए

जयपुर । केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
अपने आवास पर ईडी की छापेमारी पर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, “आज वे जांच करने आए हैं, सर्च करने आए हैं। इनका सहयोग करेंगे…ED अपना काम करेगी और हम अपना काम करेंगे। मैं मानता हूं कि भाजपा सरकार को ED के जरिए राजनीति नहीं करनी चाहिए। प्रताप सिंह खाचरियावास न आज डरा है, न कल डरा है। मुझे इन सरकारों का इलाज करना आता है। ED भेज दें, आयकर विभाग भेज दें। कुछ भी भेज दें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जो भ्रष्टाचार कर रहे हैं उसे डरना चाहिए। भाजपा सरकार भ्रष्टाचार कर रही है। मुझे या मेरे परिवार को ED ने कोई नोटिस नहीं दिया है। हमारे ऊपर ED का कोई मामला नहीं चल रहा।”

सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।

पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।

कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।ये भी पढ़ें – अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लि

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