पश्चिमी यूपी का प्रदूषित पानी भी कैंसर के लिए जिम्मेदार
एजेन्सी/ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर, बागपत, मुजफ्फरनगर और शामली में भूजल प्रदूषण की जांच के लिए सरकार और संबंधित प्राधिकरण को निर्देश दिया है। बेंच ने कहा कि भूजल में मौजूद खतरनाक और भारी धातुओं की सरकार जांच कराए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बागपत जिले के दो गांवों में प्रदूषित पानी की वजह से कैंसर ग्रसित हुए 6 मरीजों की पहचान की है। इनमें तीन की मौत भी हो चुकी है और तीन जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके अलावा सरकारी प्राधिकरणों के जरिए बागपत जिले में पानी के करीब 331 सैंपल लिए गए थे। इनमें सभी प्रदूषित पाए गए। इस जानकारी के बाद बेंच ने याची की शिकायत पर संबंधित जिलों में भूजल जांच का निर्देश दिया है।
जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने शुक्रवार को याची डॉ सीवी सिंह के मामले में यह निर्देश दिया। याची का आरोप है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन छह जिलों में लेड, मर्करी, कैडमियम जैसे हैवी मेटल के कारण भू-जल प्रदूषित होकर जानलेवा हो गया है। जबकि स्थानीय प्रशासन इस मामले में आंख मूंदे हुए है।
बागपत स्थानीय प्रशासन की ओर से एनजीटी में दाखिल किए गए हलफनामे में भी यह स्वीकार किया गया है कि जिले में हिंडन और कृष्णा नदी के किनारे आबादी के बीच हैंडपंप और भूजल के कुल 80 सैंपल लिए गए थे। इनमें 77 से अधिक प्रदूषित पाए गए।
एनजीटी ने दिया था साफ पानी के लिए निर्देश
मालूम हो कि इससे पहले भी एनजीटी ने बीते वर्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन छह जिलों में टैंकर के जरिए स्वच्छ पानी मुहैया कराने का आदेश दिया था। साथ ही स्थानीय प्राधिकरणों को जमकर फटकार भी लगाई थी।
इसके अलावा अपनी टिप्पणी में कहा था कि स्वच्छ पानी हासिल करना सबका मूलभूत अधिकार है। संबंधित प्राधिकरण और संस्थाएं अपना दायित्व निभाने में पूरी तरह विफल हैं।