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मुख्यमंत्री के बेटे के डायरेक्टर बनने के बाद प्राइवेट फर्म को मिले तीन बड़े ठेके

Chief Minister of the southern Indian state of Karnataka Siddaramaiah arrives to attend a Congress party leaders meeting in New Delhi on December 27, 2013. In the first major poll exercise after the party's drubbing in recent Assembly elections, Congress Party vice-president Rahul Gandhi  held a strategy session with top leaders and Chief Ministers of 12 Congress-ruled states to make the party fighting fit for the up coming Parliament election. AFP PHOTO/RAVEENDRAN        (Photo credit should read RAVEENDRAN/AFP/Getty Images)

एजेन्सी/ महंगे उपहार लेने के कारण कुछ दिन पहले विवादों में आ चुके कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया एक बार फिर विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। इस बार विवादों की छाया पड़ी है उनके छोटे बेटे डा. यतीन्द्र सिद्धरमैया पर, जिनके एक प्राइवेट कंपनी में उच्च पद पर ज्वाइन करने के बाद उसे तीन सरकारी ठेके दे दिए गए।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार प्राइवेट डाइग्नोस्टिक कंपनी मैट्रिक्स इमेजिंग सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड में सिद्धरमैया के 36 वर्षीय बेटे डा. यतीन्द्र सिद्धरमैया के 8 सितंबर 2014 में ज्वाइन करने के बाद से कर्नाटक सरकार की ओर से कंपनी को तीन बड़े ठेके दिए गए। सिद्धरमैया के बेटे इस कंपनी में डायरेक्टर के पर पर तैनात हैं।

उनके निदेशक बनने के बाद से ही कंपनी पर सरकार की मेहरबानी शुरू हो गई। राज्य सरकार के ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार मैसूरू के कालबुर्गी में स्थित श्री जयदेवा इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की लैबोरेट्री में उपकरणों और लैब स्‍थापित करने का टेंडर मैट्रिक को दिया गया। अखबार के अनुसार इसके अलावा मैट्रिक्स को बैंगलुरू स्थित मेडिकल कालेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में डाइग्नोस्टिक लैब तैयार करने का टेंडर भी दिया गया।
डायरेक्टर बनने के बाद मिला तीन मेडिकल कालेजों में लैब तैयार करने का ठेका

बोली की प्रक्रिया के अनुसार कालबुर्गी के श्री जयदेवा इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी साइंस एंड रिसर्च के लिए 29 सितंबर 2014 को टेंडर निकाला गया था, जो 18 नवंबर को बंद हुआ। राज्य सरकार की ई-प्रोक्योरमेंट के अनुसार इसका ठेका मैट्रिक्स को दिया गया।

बता दें मैट्रिक्स कंपनी की स्‍थापना सितंबर 2009 में हुई, जिसे यूपीए सरकार में बड़े स्तर पर टेंडर दिए गए। यूपीए सरकार की ओर से बंगलुरू और मुंबई के ईएसआई वाले अस्पतालों में लैबोरेट्री की स्‍थापना के लिए मैट्रिक्स को टेंडर देने की प्रक्रिया में उस समय तेजी आई जब मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बेटे डा. यतीन्द्र ने कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में डायरेक्टर की हैसियत से ज्वाइन किया।

हालांकि सिद्धरमैया ने दावा किया कि जितने भी टेंडर दिए गए वो पारदर्शी व्यवस्‍था के तहत दी गई। वहीं उनके पुत्र डा. यतीन्द्र ने कहा कि उन्हें हितों के टकराव के ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा अगर मुझसे किसी तरह के नियमों उल्लंघन हुआ है तो मैं इस्तीफा दे सकता हूं। हालांकि मेरे वकील के अनुसार इससे किसी तरह के हितों के टकराव का मामला नहीं बनता है।

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